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Bokaro Township: मजिस्ट्रेट संग आवास खाली कराने पहुंची BSL टीम का पुलिस मेन्स एसोसिएशन ने किया विरोध


Bokaro: बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के सम्पदा न्यायालय द्वारा अनधिकृत कब्जे वाले आवासों को खाली कराने का अभियान चल रहा है। इसी दौरान आज गुरुवार को बीएसएल की टीम, मजिस्ट्रेट के साथ एक आवास खाली कराने सेक्टर 4-E पहुंची जहां उनलोगो को पुलिस वालो के विरोध का सामना करना पड़ा। मामला सेक्टर 4-E स्तिथ पुलिस कर्मी से आवास खाली कराने को लेकर हुआ। इस प्रकरण को लेकर पुलिस वाले खासे दुखी है। 

बीएसएल अधिकारी के अनुसार उक्त आवास सिंटर प्लांट में कार्यरत शशि भूषण सेल्सो को करीब आठ महीना पहले आवंटित हुआ था पर चुकी उस आवास में पहले से पुलिसकर्मी रह रहे थे इसलिए वह शिफ्ट नहीं कर पा रहे थे। जिसको लेकर बीएसएल के सम्पदा न्यायालय ने उक्त आवास को खाली कराने के लिए एविक्शन आर्डर पास किया था और नोटिस दे चुके थे।

इसलिए बीएसएल सम्पदा न्यायालय की टीम आज मजिस्ट्रेट संग उस आवास को खाली कराने पहुंची जिसमे पुलिस कर्मी अनधिकृत रूप से रहते थे। उस वक़्त पुलिस कर्मी तेनुघाट में ड्यूटी कर रहे थे। बताया गया कि पुलिस कर्मी के परिवारवाले इतने सारे होम गार्ड के जवानो को देख कर अचरज में पड़ गए। उन्होंने इसकी सुचना पुलिस कर्मी को देते हुए, बीएसएल सम्पदा न्यायालय के अधिकारी से निवेदन किया उन्हें ऐसे अचानक बाहर नहीं निकाले। क्युकी उन्हें इस बारे में कोई सुचना नहीं थी वह तैयार नहीं थे ।

जब बीएसएल की टीम उनके परिवार वालो की बातें नहीं सुनी तो पुलिस कर्मी ने झारखण्ड पुलिस मेंस एसोसिएशन के सचिव सुभाष शुक्ला को फ़ोन कर मदद मांगी। मामले की संजीदगी तो देखते हुए शुक्ला अपने सहयोगियों के साथ उक्त पुलिस कर्मी के आवास पहुंचे और बीएसएल के टीम से निवेदन पूर्वक कुछ दिनों की महोलत मांगी। पर मजिस्ट्रेट सुनने को तैयार नहीं हुए।

इसपर शुक्ला ने उन्हें बताया कि मेंस एसोसिएशन ने करीब 70 पुलिस कर्मियों को आवास आवंटित करने के लिए बीएसएल प्रबंधन को कुछ महीने पहले लेटर दिया था। एसपी साहब ने भी बीएसएल प्रबंधन से बात कर ली थी। पुलिस कर्मी बीएसएल के शर्तो और किराये पर आवास पर रहना चाहते है। बीएसएल ने उसे सकरात्मक रूप से लिया था। और अचानक आज बीएसएल सम्पदा न्यायालय पुरे दलबल ले साथ उनमे से एक पुलिस कर्मी का मकान खाली कराने पहुँच गया।

शुक्ला ने कहा कि अगर आवास नहीं देना था तो बीएसएल प्रबंधन सुचना दे देता कि पुलिस कर्मी को आवास अलॉट नहीं कर पाएंगे। तो वह लोग कोई और इंतज़ाम करते। यह कहा का इन्साफ है की, इधर पुलिस कर्मी दूर ड्यूटी कर रहा और अचानक उसके घर पहुँच कर उसका सामान निकालने लग गए। कई पुलिस कर्मी नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जंगल में है। ऐसे स्तिथि में उनका आवास अमानवीय ढंग से खाली कराना सही है क्या ?

शुक्ला ने यह भी कहा कि बीएसएल टाउन के हज़ारो आवास में अवैध कब्ज़ा है। उसे पहले खाली कराना चाहिए। जिन आवासों की सूचि देकर पुलिस कर्मी अलॉट होने का इंतज़ार कर रहे थे उसे ऐसे खाली कराना उचित नहीं था।

इधर बीएसएल अधिकारियो का कहना है कि उस आवास को खाली कराने को लेकर एविक्शन आर्डर पास था। इसलिए सम्पदा न्यायालय की टीम वहां गई थी। उन्होंने कानून सम्मत कार्रवाई की है। चुकी वह मकान पुलिस कर्मी के अवैध कब्ज़े में था, इसलिए पुलिस वालो ने कुछ देर के लिए उनका विरोध किया।

 

 

 


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