Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) कुछ बड़ा करने जा रहा है। जिससे देश की महारत्न कंपनी सेल की ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंडोनेशिया जैसे दूसरे देशो पर कोयले की निर्भरता को कम किया जा सकेगा। ऐसा करने से बीएसएल का प्रोडक्शन कॉस्ट न सिर्फ घटेगा, बल्कि प्रॉफिट मार्जिन बढ़ेगी और उसके बनाये प्रोडक्ट की स्टील मार्केट में धमक और मजबूत होगी। इस प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए बीएसएल दुनिया का सबसे आधुनिक कोक ओवन स्टैंप चार्ज बैटरी स्थापित करने जा रहा है। जिसको हरी झंडी मिल गई है।
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की इकाई बीएसएल की यह इकाई प्लांट के अंदर लगेगी जो बिलकुल पर्यावरण के अनुकूल होगी। हालांकि इस प्रस्तावित बैटरी इकाई के लिए बजट जल्द निर्धारित कर लिया जायेगा। लेकिन अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट में लगभग 2000 करोड़ रूपये खर्च होंगे। बड़ी बात यह है कि प्रबंधन इस इकाई को 2028 के पहले स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि इसके चालू होने के बाद, कोक ओवन को दो पुरानी बैटरियों को बंद कर दिया जायेगा।
इस्पात उद्योग में कोयले की कीमतें उत्पादन लागत बढ़ाती-घटाती है-
इस्पात उद्योग में एक बड़ा खर्च कोयले की लागत है, विशेष रूप से आयातित (imported) कोयले की, जो सीधे लाभप्रदता और उत्पादन को प्रभावित करता है। बताया जाता है कि आयातित कोयले की मौजूदा औसत कीमत 30,000 रुपये प्रति टन है जबकि स्वदेशी कोयले की कीमत 9,500 रुपये प्रति टन है। जैसे-जैसे कोयले की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है, उत्पादन लागत बढ़ती और घटती है, जिससे स्टील की कीमतें प्रभावित होती हैं।
मेक इन इंडिया ड्राइव के अनुरूप होगी यह नई कोक ओवन बैटरी-
स्टील कंपनियां हमेशा कोयले की लागत कम करने के तरीके ढूंढती हैं। कोक ओवन के बैटरी प्लांट के निर्माण से, बीएसएल कोक बनाने के लिए आयातित कोयले पर अपनी निर्भरता कम करेगी और कोल मिक्स के लिए स्वदेशी कोयले का उपयोग बढ़ाएगी। यह प्रस्तावित बैटरी प्लांट संयंत्र का नौवा होगा, क्योंकि पहले से ही आठ बैटरी कार्यात्मक हैं। मेक इन इंडिया ड्राइव के अनुरूप, यह बैटरी इतनी कुशल होगी कि कोक बनाने के लिए स्वदेशी कोयला का उपयोग बढ़ाएगी, जिससे आयतित कोयले का उपयोग कम हो सकेगा। यह बैटरी प्लांट बीएसएल की प्रमुख आधुनिकीकरण परियोजनाओं में से एक होगा।
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स्टील कंपनी इसलिए रहती है इम्पोर्टेड कोयले पर निर्भर-
स्वदेशी कोयलों में राख की मात्रा अधिक होती है, और इसे कोक बनाने के लिए आमतौर पर 80 प्रतिशत आयातित कोयले के साथ मिलाया जाता है। नई बैटरी से आयातित कोयले पर निर्भरता कम होकर 65 प्रतिशत तक होने का अनुमान है, जबकि स्वदेशी कोयले का उपयोग 35 प्रतिशत तक हो जाएगा, जिससे लागत कम हो जाएगी जिसका काफी लाभ संयंत्र को मिलेगा।
बीएसएल इन देशों से इतना लाख टन कोयला करता है आयात (Import)-
सूत्रों के अनुसार बीएसएल पांच देशों से सालाना औसतन 28.98 लाख टन कोयले का आयात करती है, जबकि वह अपने देश से 4.66 लाख टन ही कोयला खरीदती है। ऑस्ट्रेलिया से हर साल लगभग 14 लाख टन कोयला, अमेरिका से 5.22 लाख टन, मोजाम्बिक से 1.76 लाख टन, इंडोनेशिया से 1.38 लाख टन और कनाडा से 30,000 टन कोयले का आयात किया जाता है।
बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज, अमरेंदु प्रकाश, ईडी वर्क्स, अतनु भौमिक के नेतृत्व और अन्य अधिकारियों के मार्गदर्शन में इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है। बैटरी प्लांट को हाल ही में मिनिस्टरी ऑफ़ फारेस्ट एंड एनवायरनमेंट से ग्रीन सिग्नल भी मिल चुका है।
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(Content verified by chief of communication, Bokaro Steel Plant (BSL) & Mines, Manikant Dhan)