Bokaro: धनबाद सांसद पशुपतिनाथ सिंह द्वारा लोकसभा में विस्थापितों को उनकी ज़मीन वापस करने की मांग उठाने के दो दिन के अंदर बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) हरकत में आ गया। बीएसएल प्रबंधन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत करने की घोषणा कर दी है। बीएसएल प्रबंधन इस बार अतिक्रमण हटाने की शुरआत बोकारो शहर की हृदयस्थली सिटी सेंटर से करने जा रहा है। इस बाबत नोटिस भी प्रबंधन निकाल चुका है।
अभियान के पहले चरण में सिटी सेन्टर ( City Centre ) के एल०आई०सी० मोड़ से मारूती शोरूम तक सभी अवैध कब्जाधारियों को खाली कराया जायेगा। इसके लिए बीएसएल टी.ए की एक टीम ने सर्वे कर पूरा खाका तैयार कर लिया है। सर्वे के दौरान वह स्थान भी चिन्हित किया गया है जहा से अवैध कब्जाधारी बीएसएल की बिजली चुरा कर उपयोग करते है। अभियान शुरू करने के पहले बिजली के अवैध तार काटे जायेंगे। इस बार प्रबंधन विरोध करने वालो पर FIR भी करेगी, जैसे की NEXA शोरूम के वक़्त किया गया था।
सूत्रों के अनुसार सम्पदा न्यायालय , बोकारो स्टील सिटी द्वारा पारित आदेशों के आलोक में सिटी सेन्टर (City Centre) के एल ० आई ० सी ० मोड से मारूती शोरूम तक सभी अवैध कब्जाधारियों को खाली कराने के संदर्भ में बेदखली आदेश (Eviction/Demolition Orders) पारित किया जा चुका हैं। सभी अनधिकृत दखलकारों को अवैध गुमटी, दुकान एवं किसी भी तरह का कब्जा हटा कर अनधिकृत स्थल, प्लॉट, भूखण्ड अतिशीघ्र खाली कर देने की चेतावनी बीएसएल प्रबंधन ने जारी कर दिया है।
लोकसभा में सांसद बोलें वर्षो से खाली पड़ी ज़मीन विस्थापितों को हो वापस, देखें वीडियो..
बीएसएल के अधिकारी के अनुसार जो अवैध कब्जाधारी नहीं हटाएंगे, उन्हें बेदखली प्रक्रिया के तहत हटा दिया जाएगा और किसी भी तरह की क्षति के लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे। बताया जा रहा है कि बोकारो स्टील सिटी में करीब 2000 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण है। बीएसएल के सम्पदा न्यायलय ने ज़मीन अतिक्रमण के लगभग 220 केसेस में एविक्शन आर्डर पास कर दिया है। सिटी सेंटर उसमे से एक है। सिटी सेंटर में बढ़ती अवैध दुकानों-गुमटी की शिकायत अक्सर लोग बीएसएल प्रबंधन को करते रहे है।
सिटी सेंटर के पार्किंग समस्या, ड्रैनेज-नालियों का जाम, कूड़ा-करकट होना आदि के लिए लोग अतिक्रमण ही कारण बताते है। जिसके लिए सिटी सेंटर प्लाट होल्डर एसोसिएशन अक्सर आवाज़ उठाते रहा है। सिटी सेंटर के प्लाट मालिक और उनके रेंटेर दुकानदार अजीब परिस्तिथि से गुजर रहे है। अतिक्रमण के चलते उनका व्यवासय प्रभावित हो रहा है। फुटपाथ में सामान हो या खाना दुकान से सस्ता मिल जा रहा है। प्लाट होल्डर ने इस बाबत बीएसएल प्रबंधन को कम्प्लेन भी किया है। एहि नहीं, हाल ही में हुए बोकारो ऑफिसर एसोसिएशन के चुनाव में शहर में बढ़ता अतिक्रमण भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा था।
अतिक्रमण को ले राज्य भर में BSL बना उदाहरण, मुख्यमंत्री ने कह दी इतनी बड़ी बात
ज़मीन में बढ़ते अतिक्रमण से SAIL और BSL की काफी फजीहत हुई है। कुछ दिनों पहले डालमिया सीमेंट के दूसरी यूनिट के हुए शिलान्यास कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री ने अतिक्रमण को ले बीएसएल का उदाहरण दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि “अगर उद्योग लगाने के लिए जमीन दिया गया है, तो सभी उद्योग घरानो से एहि आग्रह होगा कि आप उद्योग लगाने का काम करे, न की ज़मीन एनक्रोच कराने का काम करें। नहीं तो इससे फिर उद्योग घराने के लिए दिक्कत होगी और सरकार के लिए भी नई चुनौती खड़ी होगी।”
सांसद धनबाद पशुपतिनाथ सिंह ने भी सरकार का ध्यान विस्थापितों के समस्याओ की ओर आकृष्ट करते हुए यह मांग कि की जिस जमीन का उपयोग 20 वर्षो से नहीं हुआ हो, वैसी जमीन रैयतों को वापस कर दी जाये। ताकि रैय्यत-किसान अपने जमीन का उपयोग कर अपनी जीविका चला सके। सांसद ने सत्र में यह भी कहा कि विस्थापितों के जमीन का अधिग्रहण कंपनियों द्वारा आवश्यकता से बहुत ज्यादा किया गया।
इसके पहले बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने भी विधानसभा सत्र में विस्थापितों की खाली पड़ी अनुपयोगी ज़मीन उन्हें वापस करने की मांग की थी। बता दें, बीएसएल प्लांट को बसाने वाले विस्थापितों को उनकी ज़मीन पर हुए अतिक्रमण का काफी दुःख है। उनका मानना है कि उन्होंने अपनी ज़मीन प्लांट लगाने और ओद्योगिक विकास के लिए दिया था न की अतिक्रमण कराने के लिए। बीएसएल के होने वाले 7 मिलियन टन के प्रोडक्शन विस्तार के लिए भी अतिक्रमण एक बहुत बड़ा रोड़ा है।