Bokaro: देश की महारत्ना कंपनी स्टील ऑथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के निजीकरण (Privatisation) का मामला एक बार फिर चर्चा में है। बताया जा रहा है कि देश की कई बड़े और मध्यम आकार के सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (CPSE) के निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार काम कर रही है। निजीकरण से सम्बंधित सरकार द्वारा बनाये जा रहे प्रारंभिक सूची में सेल का भी नाम होने की संभावना है।
देश के एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अख़बार फाइनेंसियल एक्सप्रेस के अनुसार, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) और निर्माण फर्म एनबीसीसी (इंडिया) के निजीकरण के लिए प्रारंभिक सूची में शामिल होने की संभावना है, क्योंकि सरकार सीपीएसई के सभी ‘गैर-रणनीतिक क्षेत्रों’ को चरणबद्ध तरीके से निजीकरण या बंद करने के रास्ते पर चल रही है।
फाइनेंसियल एक्सप्रेस को एक आधिकारिक सूत्र ने कहा है कि केंद्र की प्राथमिक इस्पात निर्माता सेल में 65% हिस्सेदारी मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से लगभग 29,600 करोड़ रुपये है। सेल के पास बोकारो, भिलाई, दुर्गापुर, बर्नपुर और राउरकेला में पांच एकीकृत इस्पात संयंत्र हैं। इसमें फेरो अलॉय प्लांट के साथ-साथ तीन विशेष इस्पात संयंत्र भी हैं।
वैश्विक स्तर पर स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में भी कंपनी को 3,850 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में कंपनी को 1,270 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। मंगलवार को सेल का शेयर बीएसई पर 110.35 रुपये पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 1.05% अधिक है।
हाल ही में सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) को भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय से वित्त मंत्रालय में स्थानांतरित करने के बाद, सरकार ने निजीकरण या बंद करने के लिए गैर-रणनीतिक क्षेत्र में सीपीएसई के चयन के लिए डीपीई को नोडल विभाग बनाया है।
‘रणनीतिक-क्षेत्र नीति’ बजट में सामने लाया गया, जिसमें कहा गया है कि सरकार की चार व्यापक क्षेत्रों में न्यूनतम उपस्थिति होगी जबकि शेष का निजीकरण या विलय या बंद किया जा सकता है। ये चार क्षेत्र हैं: परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा; परिवहन और दूरसंचार; बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाएं। गैर-रणनीतिक क्षेत्र में लगभग 150 सीपीएसई हैं।