Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

BSL के इन दो प्रबंधको के जज्बे को सलाम ! अपनी नायाब सोच से करोड़ो बचाये, इनाम लाये और बन गए मिसाल


Bokaro: बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के दो युवा प्रबंधक,  प्रशांत कुमार सिंह और परिचय भट्टाचार्जी, ने पत्थर उछाल कर आसमान में सुराख़ कर दिया। अपने क्रिएटिविटी और मेहनत से इन अधिकारियों ने न केवल बीएसएल को संभावित वित्तीय आपदा से बचाया। बल्कि इनकी कलाकारी ने बीएसएल को प्रतिष्ठित सीआईआई पुरस्कार भी दिलवाया है।

बीएसएल के इन दोनों अधिकारियों की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है। इन्होने अपनी सोच से एक नई प्रणाली विकसित कर दी जिसका अब पेटेंट सेल-बीएसएल (SAIL-BSL) करवा रहा है।

बीएसएल प्रबंधन का फूल गया था हाथ-पांव
बताया गया कि सीआरएम-3 में करोड़ो की लागत से लगाई गई जिंक कोटिंग करने वाली मशीन रह-रह कर ख़राब हो जा रही थी। जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा था। बीएसएल प्रबंधन ने जब उस मशीन को बनाने की सोची तो वरीय अधिकारियो के हाथ-पांव फूल गए। एक तो रिपेयरिंग करने के लिए कोई देशी कंपनी नहीं मिली। ग्लोबल टेंडर करने के बाद जो कंपनिया आगे आई उन्होंने रिपेयरिंग की किम्मत 80 करोड़ के ऊपर मांगी। साथ ही तीन माह तक सीआरएम 3 में उत्पादन प्रभावित रहने की बात भी कही।

विपरीत परिस्तिथि में खुद सामने आये 
बीएसएल इतना बड़ा झटका सहने को तैयार नहीं था। सेल के आला अधिकारी कुछ समझ नहीं पा रहे थे। यह घटना 2022 अगस्त की थी। बार-बार ब्रेकडाउन से परेशान सीआरएम 3 के अधिकारी भी परेशान थे। प्रबंधन की ओर आशा से देख रहे थे। इसी बीच यह दोनों प्रबंधक अपनी अलग सोच के साथ सामने आये और वरीय अधिकारियों को उपाय बताया। आत्मविश्वास से भरे इन युवा प्रबंधको के जज्बे और नायब सोच को देखकर पूर्व डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश ने इनकी पीठ ठोक दी। फिर क्या था,  इन दोनों ने असंभव को संभव कर दिया।

जिस ठीक करने में लगते 80 करोड़, 80 हज़ार में कर दिया ठीक
दोनों युवाओ ने फेंके हुए कल-पुर्जे की मदद से उस ख़राब मशीन को ठीक नहीं किया, बल्कि पूरा का पूरा सिस्टम ही बदल डाला। कमाल की बात यह थी की विश्व में बीएसएल ही ऐसी कंपनी है जिसके पास अपनी बनाई हुई जिंक कोटिंग प्रणाली है और वह भी जबरदस्त। उसकी एक्यूरेसी 99 % से ऊपर है। पहले लगी करोड़ो की मशीन की भी इतनी एक्यूरेसी नहीं थी। ध्यान देने की बात यह भी है कि जिस मशीन को रिपेयर करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनिया 80 करोड़ मांग रही थी। इन दोनों अधिकारियों ने पूरी प्रणाली ही मात्र 83,000 रूपये में विकसित कर दी।

BSL को दिलवाया आवार्ड
सेल के तरफ से इन युवाओ द्वारा ईजाद की गई प्रणांली को सीआईआई अवार्ड के लिए भेजा गया। जिसमे जूरी ने न सिर्फ बीएसएल अधिकारियों के इस प्रयास को सराहा बल्कि सीआईआई (पूर्वी क्षेत्र) उत्पादकता पुरस्कारों में प्रथम पुरस्कार से नवाजा भी। इस आविष्कार की तकनीक और डिजाइन को सुरक्षित करने के लिए SAIL की ओर से एक भारतीय पेटेंट भी सफलतापूर्वक दायर किया है।

बीएसएल के प्रवक्ता मणिकांत धान ने कहा कि इन दोनों युवा प्रबंधको ने ऑटोमेटेड कोटिंग कंट्रोल युसिंग रिग्रेशन अप्प्रोच टुवर्ड्स एंटरप्राइज़ (एक्यूरेट 5.0) प्रणाली विकसित किया। इस प्रणाली को विकसित करने के लिए इस टीम को सीआईआई (पूर्वी क्षेत्र) उत्पादकता पुरस्कारों में प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया है।

इस प्रणाली को बीएसएल के युवा प्रबन्धकों ने बिल्कुल नए सिरे से विकसित किया है और इसके लिए किसी विशेष हार्डवेयर की आवश्यकता भी नहीं पड़ी, यानी यह शून्य-लागत वाली परियोजना रही. इस प्रणाली को मौजूदा स्वचालन प्रणालियों के साथ एकीकृत किया गया है जिससे ज़िंक की खपत में कमी आई है और उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है. कुल मिलाकर, एक्यूरेट 5.0 प्रणाली गैल्वेनाइज्ड उत्पादों में ज़िंक कोटिंग वजन का सटीक पूर्वानुमान, मॉनिटरिंग और कंट्रोल के लिए एक लागत प्रभावी और कुशल समाधान है.

इस परियोजना से संयंत्र को 17.83 करोड़ रुपये की वार्षिक आवर्ती लागत बचत होगी. परियोजना को विकसित करने और कार्यान्वित करने वाली टीम, श्री प्रशांत कुमार सिंह और श्री परिचय भट्टाचार्य ने हाल ही में सीआईआई( पूर्वी क्षेत्र) उत्पादकता पुरस्कारों में अपना समाधान प्रदर्शित किया और सेल, बोकारो स्टील प्लांट के लिए प्रथम पुरस्कार जीता।


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