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मनुष्य व प्रकृति के प्रेम का प्रतीक है सरहुल


Bokaro: सरना समाज की ओर से 11 अप्रैल को सरना स्थल सेक्टर 8/ए बोकारो में प्रकृति पर्व सरहुल का आयेजन किया गया। पहान राजीव मुंडा , चमरा लकड़ा और सूदन सुंबरूई ने आदिवासी विधि विधान से मां सरना का पूजा अर्चना किया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष वर्षा अच्छी होगी ,इसका लाभ किसानों को मिलेगा ,फसलों की पैदावार इस वर्ष अच्छी होगी।

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पहान राजीव मुंडा ने कहा कि ,प्रकृति पर्व सरहुल प्रकृति मां के बिच सामंजस्यपूर्ण प्रेम का प्रतीक है।देव वृक्ष सखुआ अत्यंत मंगल कारी होता है, मां सरना और सिंगबोंगा को सखुवा फूल को उन्हे अर्पित किया जाता है। उसके बाद पहानो के द्वारा सखुआ फूल को श्रद्धालुओं के कानों में आशीर्वाद स्वरूप खोंसा जाता हैl आज अगर प्रकृति सुरक्षित व संरक्षित है तो इसका श्रेय आदिवासियों को जाता है।

सरहुल पर्व समस्त मानव जीवन के कल्याण हेतु किया जाता है। प्रकृति अपनी विविध पुकारों के द्वारा अपना संदेश हम तक पहुंचाती रहती है।जिसे प्रकृति प्रेमी ही समझ पाने में सक्षम हैं। अतः हमे प्रकृति के साथ जुड़ कर रहना चाहिए,यही संदेश अपने साथ लेकर सरहुल पर्व आता है।

सरना स्थल सेक्टर 8 / ए से शोभा यात्रा निकाली गई जो सेक्टर 9 ए रोड,बसंती मोड़,सेक्टर 4 होते हुए भगवान बिरसा मुंडा चौक नया मोड़ तक पहुंचा । शोभा यात्रा में आदिवासी महिला, पुरुष ,युवक ,युवती सफेद व लाल पाड़ की साड़ी और पुरुष धोती और पगड़ी बांध कर ,ढोल, नागड़ा, मंदार की थाप पर नृत्य करते हुए पहुंचे।इस मौके पर राजदीप मुंडा ,कामदेव उरांव, एतवा उरांव, चामू उरांव, पवन उरांव, जाय मगंल, अघनू,न्यूटन, प्रदीप कुजूर, बिसेस्वर, विकास, अजय, विनोद, दीनदयाल ,संजय आदि मौजूद थे।


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