Bokaro: शहर में एक बार फिर बीएसएल (BSL) प्लांट को जमींन देने वाले मूलनिवासियो का जोरदार प्रदर्शन हुआ। बोकारो ग्रामीण रैयत अधिकार मोर्चा द्वारा मंगलवार को एक विशाल रैली एवं आम सभा का आयोजन किया गया। जिसमे हज़ारो की संख्या में मूलनिवासी शामिल हुए। पूर्व विधायक अरूप चटर्जी भी रैली में शामिल हुए।
रैली की शुरुआत बिरसा मुंडा (नया मोड़) प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हुआ। रैली मे काफी संख्या मे महिलाएं मौजुद थी। सभी के हाथो में झंडे और बैनर थे। ‘इंक्लाब जिंदाबाद’, ‘जमीन हमारा राज्य तुम्हारा’ नही चलेगा’ “हम रैयतों को विस्थापित कहना बंद करो” आदि नारो से इलाका गूंज गया। रैली के कारण नयामोड़ से लेकर डीसी कार्यालय तक का ट्रैफिक धीमा रहा।
रैली उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर सभा मे तब्दील हो गयी। प्रदर्शकारियों की मुख्य मांग 20 रैयती गांवो को पंचायत मे शामिल करने की थी। सभा की अध्यक्षता कमालुद्दीन अंसारी एवं राजकुमार गोराई ने संचालन किया।
इस कार्यक्रम मे सभा को वासुदेव आचार्या पूर्व सांसद बाकुंडा, अरूप चटर्जी पूर्व विधायक निरसा, हलधर महतो महासचिव मासस डी.सी.गोहाई झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन, बच्चा सिंह संयोजक झारखंड जनसंघर्ष मोर्चा ,प्रेम कुमार, अरविंद कुमार, इश्तियाक अंसारी, संतोष सिंह आदि मौजुद रहे।
प्रदर्शन में शामिल अरबिंद कुमार ने बताया कि उनकी मुख्य मांगे – प्रस्तावित पंचायत कुण्डौरी, पंचौरा, महेशपुर, महुवार उत्तरी, महुआर दक्षिणी एवं बैधमारा में पंचायत चुनाव कराया जाय, साथ ही बन्सीमीली एवं श्यामपूर को गठित पंचायत में जोड़ा जाय।
विक्रम कुमार ने कहा कि मूलनिवासियो के जमीन का रसीद काटना अविलंब चालू किया जाय। 20 रैयती गावों के आदिवासी/ मूलनिवासियों का अनुमण्डल एवं उपायुक्त स्तरीय जाति, आवासीय एवं आय प्रमाण-पत्र अविलंब बनाया जाय।
प्रदर्शनकारी धनगरी गांव में तोड़े गए घरो को लेकर काफी रोषित थे। उनका कहना था कि कानूनी प्रक्रिया पूरी (Due process of Law and process established by law Article 300-A fulfill) किये बगैर ही 20 गांव को भारत के मानचित्र से कैसे गायब किया गया एवं उन्हें अमिक्रमणकारी कैसे घोषित किया गया, जबकि 20 गांव अब भी रैयत के भौतिक कब्जे में है? उन्होंने प्रसाशन से उन जमीनों के संबंध मे दस्तावेज पेश करने कि मांग की।