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भोजपुरी-मगही भाषा को जबरदस्ती थोपना झारखंडी लोगों को बर्दाश्त नहीं: उमाकांत रजक


Bokaro: भोजपुरी, मगही, मैथली, अंगीका भाषा को बोकारो, धनबाद जिला से हटाने के मांग को लेकर राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर पूर्व मंत्री उमाकांत रजक ने अपने आवासीय कार्यालय सेक्टर 09 में एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर  रजक ने कहा कि भाषा बचेगी तभी तो हमारी संस्कृति बचेगी। हमारी भाषा के साथ खिलवाड़ कर झारखंड सरकार ने मूलवासियों के हक और अधिकार पर कुठाराघात किया है।

भोजपुरी, मगही भाषा को जबरदस्ती थोपना हम जैसे झारखंडी लोग कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। रजक ने कहा कि झारखंड राज्य आसानी से नहीं मिला है। हजारों लोगों ने कुर्बानियां दी है, शहीद हुए हैं। अलग झारखंड राज्य आंदोलन में खुद मैं भी नौ बार जेल गया हूं । कहा कि क्या भाषा और संस्कृति का अपहरण करने के लिए झारखंड राज्य अलग हुआ? झारखंड सरकार को आदिवासी – मूलवासियों के हक और अधिकार को देना होगा ।

झारखंड के लोगों का यहां के खनिज संपदाओं पर स्वामित्व नहीं है। युवा रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रजक ने कहा कि झारखंड का निर्माण झारखंडियों के लिए हुआ है, भाषा, साहित्य, परम्परा, हमारी अस्मिता को अक्षुण्ण रखने के लिए ही लंबे जनआंदोलन और लंबी लड़ाई लड़ी गई थी,  लेकिन आज झारखंड के आदिवासी – मूलवासी अपने ही घर में न्याय के लिए तरस रहे हैं । झारखंड सरकार हमारी पहचान को मिटाने पर तुली हुई है।

भाषा, संस्कृति, परम्परा हमारी पहचान का प्रतीक है । रजक ने कहा कि यदि भोजपुरी मगही अंगीका भाषा को वापस नहीं किया गया तो आगे जोरदार आंदोलन किया जाएगा। मौके पर दुर्गाचरण महतो, बधन शर्मा, राजेश महतो, शत्रुघ्न महतो, प्रकाश शर्मा, किरण चन्द्र मांझी, नरेश महतो,अशोक महतो,सुदामा सिंह,परशुराम महतो,लक्ष्मण महतो समेत अन्य उपस्थित थे।


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