Bokaro: सेल- बोकारो स्टील प्लांट (BSL) प्रबंधन द्वारा गुआ आयरन ओर माइंस (Gua Iron Ore) में विस्थापितों और स्थानीय लोगों को दरकिनार कर बाहरी लोगों को नौकरी देने का मामला तूल पकड़ रहा है। इसके विरोध में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनकी पत्नी सिंहभूम की वर्तमान सांसद गीता कोड़ा अन्य यूनियन लीडरो के साथ बोकारो पहुंची और बीएसएल प्रबंधन से वार्ता की।
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झारखण्ड में सेल (SAIL) के बोकारो स्टील प्लांट (BSL) अंतर्गत आने वाले गुआ आयरन ओर माइंस (Gua Iron Ore Mines) में दूसरे राज्यों से आए 13 कर्मियों के बहाली हुई है। इस मामले के विरोध में गुआ माइंस के विस्थापित सहित स्थानीय लोग, मजदुर संघठन, राजनितिक पार्टी आदि एक प्लेटफार्म पर आ गए है। सेल गुआ में पिछले 2 जनवरी से आंदोलन जारी है।
बाहरी लोगों की बहाली निरस्त करें BSL: गीता कोड़ा
इस मसले में शुक्रवार पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और सांसद गीता कोड़ा ने बोकारो स्टील प्लांट (BSL) प्रबंधन से वार्ता कर उन बाहरी 13 कर्मियों की बहाली निरस्त कर स्थानीय लोगो को नौकरी देने की मांग की है। वार्ता में गुआ सेल के सभी यूनियनो के करीब 16 प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बीएसएल के तरफ से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (माइंस) जयदीप दासगुप्ता और ईडी नगर प्रसाशन राजन प्रसाद उपस्तिथ थे।
वार्ता के दौरान गीता कोड़ा ने बीएसएल प्रबंधन से साफ़ कहा कि बाहरी 13 कर्मियों की बहाली निरस्त करें। विस्थापित, सेल कर्मियों के आश्रितों और स्थानीय लोगो को प्राथिमिकता के आधार पर नौकरी दें।
नहीं तो SAIL-BSL के सभी आयरन ओर माइंस में उत्पादन-डिस्पैच होगा ठप: सांसद
गीता कोड़ा ने कहा कि फिलहाल गुआ में आंदोलन जारी रहेगा। सेल-बीएसएल प्रबंधन अगर उनकी मांगो को पूरा नहीं करता है, तो वह बोकारो स्टील (Bokaro Steel) के चारो आयरन ओर खदानों (गुआ, मेघाताबुरु, किरीबुरू और चिरिया) में उत्पादन और डिस्पैच बाधित कर देंगे।
मधु कोड़ा ने कहा कि गुआ खदान सारंडा जंगलों के बीच बसा हुआ है। यहां के स्थानीय वासी राष्ट्रहित एवं उद्योगहित के लिए अपनी कृषि युक्त भूमि का त्याग कर स्वयं बेरोजगारी के कगार पर खड़े हैं। स्थानीय एवं आसपास के ग्रामीण बेरोजगारों के लिए रोजगार का एकमात्र विकल्प गुवा खदान ही है। गुवा सेल प्रबंधन बाहरी युवकों का नियुक्ति कर यहां के स्थानीय बेरोजगार युवकों के अधिकारों का हनन कर रही है।
बाहरी लोगों को नौकरी बर्दास्त नहीं: पूर्व सीएम
मधु कोड़ा ने वार्ता के दौरान कहा – “गुआ में जमीन स्थानीय लोगों का गया, खदान से निकलने वाला डस्ट और फाइनस का प्रदूषण वह झेल रहे है। लाल पानी वह पी रहे है। प्रदुषण वह झेल रहे है। बेरोजगार वें है। और सेल नौकरी बाहरी लोगों को दे रहा है यह बिलकुल भी बर्दास्त नहीं। हमलोग बाहरी लोगों को वहां नौकरी नहीं करने देंगे। सेल-बीएसएल अपनी निति में बदलाव करें। नहीं तो खदान में काम ठप कर दिया जायेगा।”
बता दें, झारखण्ड में स्तिथ सेल का गुआ आयरन ओर माइंस पहले रॉ मटेरियल डिवीज़न (RMD) के अंदर आता था। सेल प्रबंधन ने 2021 में नीतिगत फैसला लेते हुए आरएमडी को भांग कर दिया और बोकारो स्टील प्लांट (BSL) प्रबंधन को उसका अधिकार सौंप दिया। जिसके बाद से बीएसएल प्रबंधन इन आयरन ओर माइंस को संचालित करता है। फिलहाल इसमें करीब 400 बीएसएल कर्मी और 650 ठेका कर्मी कार्यरत है।
संसद में भी उठेगी आवाज़
सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि पहले आरएमडी गुआ माइंस से सम्बंधित बहाली में विस्थापितों और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देता था। पर जबसे बीएसएल के कण्ट्रोल में यह आया है। तब से स्तिथि बदली है। 2023 में बीएसएल ने माइनिंग फोरमैन, माइनिंग मेन और हैवी व्हीकल ड्राइवर की बहाली निकली थी। जिसमे बीएसएल प्रबंधन ने जिन 13 कर्मियों की बहाली की। वह सब बाहरी है। एक भी स्थानीय नहीं है। जिसके बाद सेल के खिलाफ स्थानीय लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है। “बीएसएल के इस बहाली के खिलाफ वह संसद में आवाज़ उठायेंगी”।
सांसद ने यह भी कहा कि गुआ माइंस क्षेत्र में सेल का सीएसआर और विकास जीरो है।