Bokaro: बोकारो थर्मल थाना अंतर्गत कथारा छिलका पुल के समीप संचालित संजीवनी सेवा सदन अस्पताल संचालक ने बिल नहीं भर पाने पर आदिवासी महिला बेतमुनी देवी को एक सप्ताह से बंधक बनाकर रखा था । मंगलवार की शाम पुलिस ने उसे मुक्त कराया ।
बताया जा रहा है कि नावाडीह प्रखंड की पलामू पंचायत के गीदरपटका गांव की बेतमुनी को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया । पिता कालचंद हेंब्रम एवं मां देवंती देवी ने बताया कि 29 सितंबर को बेटी को भर्ती कराया । प्रसव हुआ तो चिकित्सकों ने कहा कि मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था । तब तक हम लोग अस्पताल में 39 हजार रुपये बतौर फीस जमा कर चुके थे ।
प्रबंधन ने 32 हजार रुपये और जमा करने को कहा । रुपये जमा नहीं कर सके तो अस्पताल में ही बेटी को बंधक बनाकर भर्ती रखा । अस्पताल प्रबंधन ने दो टूक कह दिया कि तक बिल नहीं भरोगे , बेटी को जाने नहीं देंगे । रुंधे गले से कालचंद ने बताया- अस्पताल की फीस व दवाओं के खर्च के लिए गांव के ढेबा मांझी के पास 13 हजार रुपये में खेत बंधक रख दिया । सत्तार मियां को अपनी गाय पांच हजार रुपये में बेच दी । मंझलू मियां को दो बैल साढ़े सात हजार रुपये में बेच दिए । बहन से पांच हजार , भाई से पांच हजार और महिला समूह से दस हजार रुपये कर्ज लिया ।
वहीं बेतमुनी ने बताया कि माता – पिता के पास जो रुपये थे , जमा कर दिए । पति राहुल बेसरा के पास पैसे नहीं थे । वह काम की तलाश में पटना चला गया है । रुपये नहीं थे , इसलिए बेरमो के एसडीएम अनंत कुमार ‘ एवं एसडीपीओ सतीशचंद्र झा को बताया । उन्होंने बोकारो थर्मल थाना की पुलिस को भेजकर अस्पताल से मुक्त कराया ।
मो . आसिफ , इंचार्ज , संजीवनी सेवा सदन , कथारा – नाजुक स्थिति में बेतमुनी अस्पताल आई थी । बंधक नहीं बनाया गया था । पूरी फीस जमा नहीं करने के कारण उसे अस्पताल में बेड पर रखा गया था ।
Source:Dainik Jagran