Bokaro: केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री व झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से जब पूछा गया कि – क्या आप मानते है की बाबूलाल मरांडी राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे ? डुमरी उपचुनाव को लेकर प्रचार में आ रहे भाजपा नेताओ द्वारा कहा जा रहा है कि यह चुनाव बदलाव के लिए हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए यह पहल हो रही है।
तो उन्होंने बहुत सहजता से जवाब देते हुए कहा कि अभी इस विषय में कहना उचित नहीं होगा। में यहां कोई घोषणा करने नहीं आया हूँ। यह संघठन का विषय है, जब सही मंच पर बातें आएँगी। तभी कुछ कहना उचित होगा। Video:
झारखण्ड की स्तिथी दयनीय होती जा रही है –
डुमरी उपचुनाव में प्रचार करने बोकारो आये अर्जुन मुंडा ने कहा कि राज्य की दशा दयनीय स्तिथी में पहुँच गई है। सामाजिक दृष्टि से यहां पर जो आज तक सौहार्द पूर्ण वातावरण बना रहा उसको को तोड़ने की कोशिश हो रही है। आम लोगो को न्याय नहीं मिल रहा है। राज्य को नुकसान पहुंचने और राज्य की इमेज करने का काम हो रहा है। राज्य के अधिकतर हिस्सों में सुखाड़ की स्तिथी है। राज्य सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था पर काम करना चाहिए पर वह कर नहीं रही है। बारिश हुई है पर काम हुई है। अधिकतर ज़िलों की स्तिथी ठीक नहीं है। राज्य को केंद्र से अपेक्षा करना चाहिए।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर चर्चा होनी चाहिए –
अर्जुन मुंडा ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर कहा कि यह देश के सामने चर्चा का विषय है। हम चाहते है कि लोगो के बीच इसपर चर्चा हो। क्युकी अगर हम चर्चा ही प्रारंभ नहीं करेंगे तो समाधान के रास्ते कैसे निकलेंगे। यह एक अच्छा प्रयास है।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि ” ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ – कब होगा, कैसे होगा यह तो भविष्य की बात है की हम आने वाले दिनों में जो यह आम चुनाव एक साथ हो इसकी चर्चा प्रारंभ किया है। इसके पीछे उदेश्य है यह है कि भविष्य में हम कितने सफल होते है या नहीं होते है। यह अलग विषय है। पर जनता के बीच इसपर में चर्चा होना चाहिए।”
मुंडा ने यह भी कहा कि हमारे देश में 1967 तक इस देश में एकसाथ चुनाव हुए। लेकिन बीच के वर्षो में ऐसी स्तिथि बनी लगातार कई राज्यों में कई चुनाव समय पर नहीं हुए। लेकिन उस प्रयास फिर से जारी रखने के लिए जारी रखने चर्चा करनी चाहिए। और क्या-क्या भविष्य में रास्ते बन सकते है उसपर विचार करना चाहिए।
BJP क्यों चाहती है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दूसरे नेता कई मौकों पर देश में एक साथ चुनाव की चर्चा कर चुके हैं। 2014 में तो ये बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा भी रह चुका है। देश में एक साथ चुनाव कराए जाने के समर्थन में सबसे मजबूत तर्क अलग-अलग चुनावों में खर्च होने वाली भारी-भरकम राशि में कटौती करना है। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इसमें चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों का खर्च और केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से खर्च की गई रकम शामिल है।