Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

वाह रे BGH ! अपने मरीजों का इलाज कराने के लिए दूसरे अस्पतालों को दें दिए इतने करोड़ रूपये


Bokaro: इधर बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के कर्मचारी दिन-रात प्लांट में उत्पादन बढ़ाने में लगे हुए है, ताकि कंपनी को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो, उधर बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) पैसा पानी की तरह बहा रहा है। कर्मचारियों के बढ़िया इलाज की बात छोड़िये, बीजीएच हर साल मरीजों को रेफेर कर करोड़ो रूपये दूसरे शहरों के प्राइवेट अस्पतालों को दें रहा है। बताया जा रहा है कि बीजीएच में आने वाले मरीजों में 70% प्राइवेट मरीज होते है और 30% बीएसएल (SAIl-BSL) के कर्मचारी और उनके आश्रित। (BGH के हर विभाग से कितने BSL कर्मी और उनके आश्रित मरीज रेफेर किये गए है उसकी संख्या सबसे नीचे टेबल में देखिये)

प्राइवेट मरीजों को छोड़कर, अगर सिर्फ 30% बीएसएल के कर्मचारी और उनके आश्रितों के रेफेर किये जाने की बात करें तो आकड़ा चौंकाने वाला है। पिछले तीन सालों में बीजीएच ने 2850 कर्मचारियों और उनके आश्रित मरीजों को बाहर के अस्पतालों में रेफेर किया है। जिनके इलाज में 36 करोड़ रुपये खर्च हुए है। वह भी तब जब कोरोनाकाल है और कई महीने लॉक डाउन रहा। सामान्य दिनों में यह आकड़ा और भी ज्यादा होता। बीजीएच का शायद ही कोई ऐसा विभाग है, जहां से मरीज बाहर के अस्पतालों में रेफेर नहीं किये गए है। पर इनमे से सबसे ज्यादा मरीज कार्डियोलॉजी विभाग और सबसे कम कैंसर विभाग से हुए है।

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यह सिलसिला जारी है और कबतक जारी रहेगा यह तो सेल की चेयरमैन और बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज ही जानें। सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2019 से लेकर अभी तक अकेले कार्डियोलॉजी विभाग से 516 मरीजों को बाहर के अस्पतालों में रेफेर किया गया है। या कहें कि पुरे बीजीएच में कार्डियोलॉजी विभाग ने ही सबसे अधिक 7.20 करोड़ रुपये मरीजों को बाहर के अस्पतालों में रेफेर करके खर्च किया है। इसके बाद ऑर्थोपेडिक्स (हड्डी) विभाग ने 419 मरीजों को रेफेर कर 5.94 करोड़ रूपये खर्च किये है। इनमे 649 मिक्स्ड केसेस (दो या कई बीमारियों) के मरीज रेफेर किये गए है जिनमे 9.78 करोड़ खर्च हुआ है। यह सभी मरीज बीएसएल कर्मचारी और उनके आश्रितों ही है।

इसी तरह ओफ्थल्मोलॉजी (नेत्र) विभाग से 285 मरीज बाहर रेफेर हुए है, जिनपर खर्च करीब 4.3 करोड़ रूपये हुआ है। यह आकड़े चौंकाने वाले है। या तो सेल-बीएसएल के आला अधिकारी बीजीएच के इस खर्च पर निगाह नहीं रखते, या अगर रखते है तो कुछ करते नहीं। अगर सेल और बीएसएल प्रबंधन बीजीएच पर ध्यान दें तो न सिर्फ बीएसएल कर्मियों की जान बचेगी बल्कि यहां के निवासियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। बीजीएच के मामले में लोगो को डायरेक्टर इंचार्ज से काफी उम्मीदें है। क्युकी जिस तरह डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश ने अपने नेतृत्व से बोकारो स्टील प्लांट का कायाकल्प किया है, लोगो को उम्मीदें है की वहीं इस मरणाशन्न बीजीएच का भी कुछ भला कर सकते है। लोगो की तकलीफ कम कर सकते है। जान बचा सकते है।

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बता दें बीजीएच में सुपर-स्पेशलिस्ट की भयंकर कमी है। 16 विभागों में सिर्फ 3 विभाग में हे सुपर-स्पेशलिस्ट है। जिस कारण 135 डॉक्टर रहते हुए भी मरीजों को तुरंत रेफेर कर दिया जा रहा है। इसमें हर साल करोड़ो रूपये खर्च हो रहे है।बीजीएच के चिकित्सा व्यवस्था में सुधार से कंपनी का सालाना करीब 12 करोड़ न सिर्फ बचेगा बल्कि मरीजों का इलाज भी उम्दा होगा। प्राइवेट पेशेंट से जो कमाई होगी उससे कंपनी को काफी लाभ भी होगा। अब समय आ गया है की बीएसएल प्रबंधन बीजीएच के हालात को संजीदगी से ले क्युकी प्रोडक्शन और प्रॉफिट से पहले कर्मचारी-अधिकारी, उनके परिवारों और लोगों की जान है। फिलहाल, बीजीएच के हर विभाग से कितने BSL कर्मी और उनके आश्रित मरीज रेफेर किये गए है उसकी संख्या नीचे टेबल देखिये:

बोकारो इस्पात संयंत्र के चीफ ऑफ़ कम्युनिकेशन, मणिकांत धान: “बेहतर इलाज के लिए बीजीएच से उच्च केंद्रों में मरीजों का रेफर केस दर केस आधार पर और पारदर्शी तरीके से किया जाता है। बीजीएच में विशेषज्ञों और सुपर विशेषज्ञों की आवश्यकता को पूरा करने के प्रयास भी जारी रहेंगे”।


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4 thoughts on “वाह रे BGH ! अपने मरीजों का इलाज कराने के लिए दूसरे अस्पतालों को दें दिए इतने करोड़ रूपये
  1. जिस जिस विभाग से ज्यादा रेफरल है उनके डॉक्टर्स के यहां tax raid होनी चाहिए। ये सब कमीशन का खेल है। लाखों रुपए हर महीना आता होगा। किस किस डॉक्टर ने कितने रेफरल किए और कहां कहां किए, ये एक जांच का विषय है। इससे इस गोरख धंधे का पर्दा फाश होगा। पर क्या इतनी हिम्मत है अधिकारियों में? पहले प्राइवेट प्रैक्टिस ही बंद करा कर दिखाए। अभी तक के अनुभव से यही ज्ञात होता है की जिसकी लाठी उसकी बैंस। और जिसकी लाठी वो ही डकैत। सीबीआई जांच होनी चाय।लोकल जांच केवल दिखावा होगी।

    1. Referring se hi logo ki jan bach rahi hai, बेसिर पैर की बात करके मरीजो को मरने के लिए नही छोड़ जा सकता। अधिकारी कर्मचारी अपने खून पसीने की कमाई से कंपनी को प्रॉफिट मे लाते हैं, अच्छा इलाज उनका अधिकार है। अस्पताल की स्थिति ठीक नही है, उसके लिए रेफेराल को दोष देना ठीक नहीं। पहले अस्पताल को ठीक करें, रेफेराल सपने आप रुक जायेगा। ज्यादा ज्ञानी बनकर मरीजो की मौत का कारण न बनें।

    2. Referral जिन मरीजों का किया जाता है वो बहुत complicated और super Speciality के cases होते हैं, जिनके लिए DM, MCH, Doctors और टीम की जरूरत है जिनकी सुविधा नहीं है l रेफरल बोर्ड में बहुत सारे डॉक्टर होते हैं, screening करके ही भेजा जाता है सारे मरीज़ों को l

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