Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

SAIL-BSL: आहिस्ते से, बड़ी इमारतों को ‘Green building’ में बदल रहा बीएसएल, करोड़ो हो रहे खर्च


Bokaro: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की इकाई बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर काम करना शुरू कर दिया है। जलवायु और प्राकृतिक पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए बीएसएल प्लांट के अंदर स्तिथ पांच प्रमुख इमारतों को हरित भवनों (Green Building) में परिवर्तित किया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि कार्यकारी निदेशक (कार्य) भवन बीएसएल का पहला ‘हरित भवन’ होगा। अन्य बातों के अलावा, इस ईडी भवन में ऊर्जा संरक्षण के लिए सोलर रूफ टॉप पैनल, जैविक कचरे को बायोगैस में परिवर्तित करने के लिए एक बायोगैस डाइजेस्टर लगाया जा चूका है, साथ ही वर्षा जल एकत्र करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया जा रहा है।

बीएसएल के प्रवक्ता मणिकांत धान ने कहा कि बीएसएल संयंत्र के अंदर स्तिथ विशाल इमारतों को ग्रीन बिल्डिंग में बदला जा रहा हैं। किसी भी बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, सोलर सिस्टम और अन्य पुनर्नवीनीकरण सामग्री के उपयोग के साथ प्रभावी ढंग से परिदृश्य का उपयोग करके ग्रीन बिल्डिंग में परिवर्तित किया जा सकता है। उन्होंने बताया, हरित भवन ऊर्जा कुशल, संसाधन-बचत, पर्यावरण के अनुकूल, और निवासियों को आराम प्रदान करते हैं।

धान ने बताया कि “हमने पांच इमारतों की पहचान की है जिन्हें चरणबद्ध रूप से ग्रीन बिल्डिंग के रूप में विकसित किया जाएगा। सबसे पहले, हम ईडी भवन को कन्वर्ट कर रहे है, जिसमें काम अब लगभग समाप्त हो चला है। इसके अतिरिक्त, PPC और R&C Laboratory सहित दो अन्य विशाल भवनों को भी इस प्रोजेक्ट के लिए लिया गया है”।

ईडी वर्क्स बिल्डिंग के अलावा PPC और R&C Laboratory बिल्डिंगो की छतों पर सोलर पैनल लगे हैं जो करीब 826 किलोवाट बिजली पैदा करते हैं। इन्हें 2020 में तीन करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया गया था। बीएसएल इस ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट में काफी इन्वेस्ट कर रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद, बीएसएल मध्यम साइज की इमारतों को ग्रीन बिल्डिंग का स्वरुप देगा।

उपरोक्त परियोजनाओं के अतिरिक्त प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश ने प्रत्येक विभाग में खाली पड़ी भूमि को हरित उद्यान विकसित करने के का निर्देश दिया हैं। कुछ उद्यान विकसित किए गए हैं। बीएसएल ने प्लांट के अंदर पांच भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर 18 लाख रुपये खर्च किए हैं, जिससे 37 हजार किलो लीटर वर्षा जल बचाने में मदद मिलेगी।.

ईडी वर्क्स भवन में बायोगैस संयंत्र पर करीब 32 लाख रूपये खर्च किए गए हैं। इस इकाई में बायोगैस के उत्पादन के लिए संयंत्र के अंदर कैंटीन से जैविक अपशिष्ट एकत्र किया जाता है। पाइप के माध्यम से इस बायोगैस की आपूर्ति ईडी वर्क्स भवन की कैंटीन में की जाती है, जहां इसका उपयोग खाना पकाने के लिए किया जाता है। ECD विभाग के जनरल मैनेजर नविन प्रकाश, एजीएम नितेश रंजन और अन्य अधिकारियों का इस पुरे मिशन में अहम योगदान है।


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