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Bokaro में 8 महीने से बनकर तैयार है RTPCR लैब, सरकार शायद उद्धघाटन करना भूल गई


Bokaro: यह साबित हो चूका है की टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण और COVID-19 उपयुक्त व्यवहार के पालन से वायरस संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सकता है। लेकिन कोविड-19 की पिछली लहरों में बोकारो में RTPCR टेस्टिंग की कमी रही, जिससे ट्रैकिंग और इलाज प्रभावित हुआ। फिर से कोरोना का बीएफ-7 वैरिएंट (BF-7 variant) चीन और अन्य देशों में मौत का तांडव मचा रहा है।

बोकारो में कोरोना टेस्टिंग के पुराने ढर्रे से लोग चिंतित-
अत्याधिक संक्रामक कहे जाने वाले इस बीएफ-7 वैरिएंट से लोगो की चिंता बढ़ गई है। बोकारो में पुराने ढर्रे की कोरोना टेस्टिंग जिसमे चार दिन बाद RTPCR रिपोर्ट मिलती थी, उसको लेकर लोगो को चिंतित होना स्वाभिविक है। बोकारो के सेक्टर 5 में आरटीपीसीआर (RTPCR) प्रयोगशाला बन कर तैयार है पर चालू नहीं हुई।

डीसी, बोकारो, कुलदीप चौधरी ने कहा कि सेक्टर-5 में आरटीपीसीआर प्रयोगशाला बनकर तैयार है। इसको चालू करने को लेकर झारखण्ड स्वास्थ्य विभाग के लेवल पर कार्य चल रहा है। उल्लेखनीय है कि सेल की इकाई बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने यहां आरटीपीसीआर प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए जमीन और बुनियादी ढांचा मुहैया कराया है।

RTPCR लैब बनकर तैयार-
जून 2020 में, बोकारो स्टील प्लांट (BSL) और जिला प्रशासन ने RTPCR लैब खोलने के लिए हाथ मिलाया था। एक अप्रैल 2021 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बोकारो सहित सात जिलों में आरटीपीसीआर प्रयोगशाला स्थापित करने की घोषणा की थी। बोकारो में सेक्टर-5 स्वास्थ्य केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर और आरटीपीसीआर व अन्य सहायक मशीनें लगाने का काम किया जा चूका है।

इस कारण बोकारो में RTPCR लैब नहीं हो पा रहा चालू-
बताया जा रहा है कि, आईसीएमआर (ICMR) की मंजूरी के अभाव में लैब को शुरू नहीं किया गया। झारखंड में पानीत अलमुनी रीच फॉर झारखंड (प्रेझा) नाम की एजेंसी को राज्य सरकार ने आरटीपीसीआर प्रयोगशाला स्थापित करने का ठेका दिया है। बोकारो आरटीपीसीआर परियोजना की देखरेख कर रही प्रीझा की मीनाक्षी कुमार के अनुसार, “लैब तैयार है”।

उन्होंने कहा कि इस RTPCR लैब में नवीनतम आरटीपीसीआर मशीन आठ महीने पहले लगाई गई है। हम लैब शुरू करने के लिए आईसीएमआर की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। मंजूरी मिलने के 15 दिनों के भीतर हम लैब शुरू कर देंगे।”

RTPCR लैब चालू करने के लिए डायग्नोस्टिक पार्टनर की जरुरत-
उन्होंने यह भी कहा कि, आरटीपीसीआर प्रयोगशाला शुरू करने के लिए डायग्नोस्टिक पार्टनर की आवश्यकता है, जिसे अभी तक राज्य सरकार द्वारा अंतिम रूप नहीं दिया गया है। एक बार डायग्नोस्टिक पार्टनर फाइनल हो जाने के बाद हम इसे संचालन के लिए सौंप देंगे। बोकारो आरटीपीसीआर प्रयोगशाला में प्रति दिन 2000 नमूनों की परीक्षण क्षमता वाली सबसे आधुनिक परीक्षण मशीन लगाई गई हैं।

बोकारो में फिलहाल जाँच की यह है व्यवस्था –
बोकारो में फिलहाल कोरोना की जांच रैपिड एंटीजन किट और ट्रूनेट पर निर्भर है। आरटीपीसीआर जाँच के लिए नमूने पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज धनबाद या रिम्स रांची भेजे जाते हैं। महामारी के दौरान रिपोर्ट आने में चार दिन से अधिक का समय लगता है।

कोविड-19 से लड़ने में टेस्टिंग सबसे महत्वपूर्ण हथियारों में से एक है। वायरस का समय से पता लगने पर उसके प्रसार को रोकने में मदद मिलती है। करीब 20 लाख की आबादी वाले बोकारो में वायरस पर लगाम लगाने के लिए आरटीपीसीआर की जरूरत है. एक आंकड़े के मुताबिक, महामारी फैलने के बाद से बोकारो स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड के लिए पांच लाख से अधिक स्वैब नमूनों का परीक्षण किया गया था.


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