Bokaro: रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की महिला टीम ने बुधवार को घर से भाग कर बोकारो रेलवे स्टेशन पहुंची 16 वर्षीय एक लड़की को न सिर्फ रेस्क्यू किया, बल्कि उसको समझा-बुझा कर सही सलामत उसके माता-पिता को सौंप दिया।
उस बच्ची की सही सलामत घर वापसी उसके माता-पिता के लिए किसी ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है। और यह नेक काम आरपीएफ बोकारो के ‘नन्हे फरिश्ते’ अभियान से ही संभव हो पाया। बता दें, पिछले 14 महीनों में 45 लड़कियों सहित 88 बच्चों को आरपीएफ ने उनके परिवारों से मिलवाया है।
सोशल मीडिया पर प्यार और माता-पिता की डांट: भागने के पीछे के कारण
बोकारो रेलवे के आरपीएफ पोस्ट के प्रभारी राजकुमार साव के मुताबिक, स्टेशन पर पाए जाने वाले अधिकांश बच्चे प्रेम प्रसंग में फँस कर दूसरे शहर जाने के लिए घर से भाग कर आते है। जबकि कुछ नाबालिग अपने माता-पिता से डांट-फटकार से नाराज होकर घर से भागकर ट्रैन पकड़ने स्टेशन आते है। उन्हें हम रेस्क्यू करते है। जिन्हे चाइल्डलाइन जैसी गैर-सरकारी संस्थाओं की मदद से काउंसलिंग के बाद उनके माता-पिता को सौंप देती है।
ऑपरेशन ‘नन्हे फरिश्ते’: बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में बड़ी सफलता
2022 में, आरपीएफ बोकारो के ‘नन्हे फरिश्ते’ ऑपरेशन ने 71 बच्चों को फिर से उनके घरवालों से मिलाने में कामयाबी पाई है। उनमे से 34 लड़कियां और 37 लड़के शामिल थे। वह सभी बोकारो रेलवे स्टेशन पर मिलें थे। टीम ने जनवरी 2023 से अब तक आठ लड़के और नौ लड़कियों समेत 17 नाबालिगों को रेस्क्यू किया है।
इस ऑपरेशन में महिला आरपीएफ कर्मियों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। वह स्टेशन पर अकेले पहुंचने वाले नाबालिगों या बच्चों पर नजर रखती है। उन्हें देखकर उनसे दोस्ताना तरीके से स्टेशन आने की वजह पूछती है और फिर चाइल्डलाइन को सौंप देती हैं। जो काउंसलिंग के बाद उन्हें उनके माता-पिता को सौंप देते है।
रक्षक के रूप में आरपीएफ महिला कर्मचारी: पुनर्मिलन से पहले परामर्श
बुधवार को बोकारो रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 1 पर लिफ्ट के पास से इधर-उधर भटक रही एक नाबालिग लड़की को बचाने वाली, आरपीएफ की महिला स्टाफ सदस्य अंजलि कुमारी ने कहा कि, बच्चे कुछ पारिवारिक मुद्दे या बेहतर जीवन की तलाश में भागने के ख्याल से स्टेशन ट्रैन पकड़ने आ जाते है। जिन्हे हम समझा-बूझकर उनके माता-पिता को सौंप देते है।
नाबालिगों के भागने के कारणों का आरपीएफ ने किया खुलासा
आरपीएफ की टीम ने 31 मार्च को स्टेशन के प्लेटफार्म के अंत में एक 14 वर्षीय लड़के को संदिग्ध रूप से घूमते हुए देखा। पूछने पर उसने खुलासा किया कि वह अपने माता-पिता को बिना बताए अपने घर से भाग गया क्योंकि उसके पिता ने उसे फटकार लगाई। इससे पहले 19 मार्च को आरपीएफ की टीम ने बी-1 कोच से 13 वर्षीय किशोरी को रेस्क्यू किया था। वह अकेली और बिना टिकट यात्रा कर रही थी। वह आरा (बिहार) की रहने वाली थी। उसने कहा कि वह अपने माता-पिता को बताए बिना घर से चली गई थी।