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Bokaro: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चो का एडमिशन लेने में DPS एंव अय्यप्पा अव्वल, चिन्मया फिसड्डी- होगी कार्रवाई


Bokaro: जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत आरक्षित सीटों पर पर्याप्त एडमिशन नहीं लेने के लिए शहर के प्रमुख स्कूल चिन्मय विद्यालय के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। शिक्षा विभाग द्वारा तीन कारण बताओ नोटिस जारी करने के बावजूद, चिन्मय विद्यालय ने सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। पिछले तीन वर्षों से चिन्मय विद्यालय के RTE कोटे के अधिकतर सीट खाली रही है। अनुसंशा के बावजूद, चिन्मया मिशन द्वारा संचालित चिन्मया विद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चो का एडमिशन RTE में आना-कानी कर रहा है। 

चिनमय के अलावा, बोकारो इस्पात विद्यालय, सरस्वती विद्या मंदिर, डीएवी पब्लिक स्कूल-सेक्टर 6 सहित कुछ अन्य स्कूलों में इस साल RTE के दाखिले ना के बराबर हुए है। RTE के तहत, स्कूलों को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से एक निश्चित संख्या में छात्रों का नामांकन करना होता है। शहर के प्रसिद्ध दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS), बोकारो और श्री अय्यप्पा पब्लिक स्कूल ने RTE कोटे के सभी सीटों पर प्रवेश लिया है। बोकारो में 40 स्कूल RTE के जद में आते हैं।

जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) सह नोडल अधिकारी आरटीई प्रकोष्ठ, मोहम्मद नूर आलम खान ने कहा कि चिन्मय विद्यालय में पिछले तीन साल से RTE कोटे की अधिकतर सीटें खाली हैं। झारखंड के प्राथमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को पत्र भेजकर चिन्मय विद्यालय के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।

RTE कोटा के तहत सीट उपलब्ध होने के बावजूद चिन्मया प्रबंधन सामर्थ्य संख्या से काफी कम बच्चो का प्रवेश ले रहा है। जो बिलकुल गलत है। जब शहर के डीपीएस और अय्यप्पा जैसे अधिकतर स्कूल RTE के तहत पुरे सीटों पर बच्चो का एडमिशन ले रहे है तो चिन्मया को क्या दिक्कत है समझ नहीं आ रहा।

डीएसई ने कहा, “आरटीई अधिनियम के तहत प्रत्येक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल को प्राइमरी कक्षा में अपने सामर्थ्य संख्या का कम से कम 25 प्रतिशत कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश लेना अनिवार्य है। जिला प्रशासन ने आरटीई प्रवेशों की निगरानी के लिए RTE Cell का भी गठन किया है। बावजूद इसके चिन्मया विद्यालय आरटीई के तहत सीटों में 6 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले कमजोर वर्ग के छात्रों का प्रवेश नहीं ले रहा है।”

चिन्मय प्रबंधन से पूछे जाने पर कहा गया कि वह इस मामले में समझबूझ कर कल बोलना पसंद करेंगे।

डीएसई ने कहा कि चिन्मय विद्यालय को सत्र 2022-23 में आरटीई के तहत 60 सीटें मिली हैं, जिनमें से 39 सीटें खाली हैं। डीएसई कार्यालय ने कमजोर वर्ग के कुछ छात्रों के RTE में एडमिशन की सिफारिश चिन्मय विद्यालय से की है, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उनका प्रवेश नहीं लिया। पिछले साल 2021-22 में आरटीई के तहत उपलब्ध 66 सीटों में से चिन्मय विद्यालय ने केवल 10 सीटें भरी। 2020-21 में आरटीई के तहत चिन्मया की 50 सीटें खाली थी।

जिले के 40 स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं में 2089 सीटें हैं। इसमें से 528 सीटें आरटीई कोटा के लिए आरक्षित हैं, जिसमें 309 छात्रों ने इस साल प्रवेश लिया है। आरटीई कोटे के तहत स्कूलों में दाखिले की संख्या घोषित सीटों की तुलना में महज 58 फीसदी है। बोकारो टाउनशिप अपने अच्छे शिक्षा के माहौल के लिए जाना जाता है। बोकारो इस्पात विद्यालय और सरस्वती विद्या मंदिर ने आरटीई कोटे में एक भी प्रवेश नहीं लिया है जबकि डीएवी पब्लिक स्कूल-सेक्टर 6 ने केवल एक ही प्रवेश लिया है।

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उल्लेखनीय है कि मई, 2022 को डीएसई कार्यालय ने जिले के सभी निजी स्कूलों को पत्र भेजकर आरटीई (शिक्षा का अधिकार) कोटे के तहत अपने-अपने संस्थानों में पिछले साल से खाली पड़ी सीटों की संख्या का विवरण देने को कहा था।

पूर्व डीएसई ने राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा दिए निर्देश के आलोक में जांच के लिए निजी स्कूलों के नामांकन रजिस्टर मांगे थे, जो खाली पड़ी RTE कोटा सीटों का मूल्यांकन करने और स्कूलों द्वारा उसमे सामान्य वर्ग के बच्चों को भरने के लिए अपनाई गई थी। गरीब बच्चों के आरटीई में नामांकन को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्कूल रजिस्टर की समीक्षा की गई। बहाना बनाकर गरीब बच्चों को स्वीकार करने से इनकार करने वाले निजी स्कूलों ने अपना पक्ष स्पष्ट किया था। इस कवायद के बावजूद बोकारो के स्कूलों में आरटीई के तहत सीटें खाली रहीं।


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