Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

Bokaro: बीएसएल के ढुलमुल रवैये के चलते कूड़े के ढेर में तब्दील हो रहा टाउनशिप, पांच दिनों से नहीं हुआ कचरा उठाव


Bokaro: बोकारो टाउनशिप में सफाई व्यवस्था पिछले पांच दिनों से पूरी तरह चरमरा गयी है। शहर में विभिन्न जगहों पर कचरा का अंबार लग गया है। सफाई मित्र पिछले पांच दिनों से काम पर नहीं आ रहे है। डोर-टू-डोर कलेक्शन से लेकर सेक्टर-11 ग्राउंड में डंपिंग तक का काम बुरी तरह प्रभावित है। सफाई कार्य पूरी तरह ठप हो गया है। जहां-तहां बिखरे कचरे के ढेर से बीमारियां का खतरा बढ़ गया है। लोग परेशान है।

राज्य के इस सुन्दर शहर का हाल बुरा
पिछले दो-तीन दिनों तक लोगो को खास पता नहीं चला, पर मंगलवार-बुधवार तक जगह-जगह रखे गए अधिकतर डस्टबिन कचरे से भर गए। आमजन खुद कचरा डस्टबिन में फेंकते देखे जा रहे है। कई जगह तो रोड में गंदगी बिखरी पड़ी है। सफाई मित्रो के नहीं आने से लोगो के बीच चर्चा शुरू हो गई है। सेक्टर में कुछ जगहों पर कचरे से बदबू आना भी शुरू हो गया है।

झारखण्ड के सुन्दर शहरो में एक बोकारो टाउनशिप का यह बुरा हाल बीएसएल (BSL) के टाउन एंड एडमिनिस्ट्रेशन (TA) डिपार्टमेंट के ढुलमुल रवैये के चलते हुआ है। बताया जा रहा है कि टाउनशिप से प्रतिदिन 60 से 70 टन कचरा निकलता है। जिसे सफाई मित्र विभिन्न सेक्टरों के गलियों से कलेक्ट करके एक जगह डंप करते है और वहा से सेक्टर 11 ग्राउंड ले जाकर डंप कर दिया जाता है। सफाई का यह कार्य करीब 260 सफाई मित्रो के जिम्मे है, जो सेक्टरों में घूम-घूमकर कचरा इकट्ठा करते है।

नहीं मिला सफाई मित्रो को वेतन
इस काम को करवाने के लिए बीएसएल प्रबंधन टेंडर करती है। जो तक़रीबन 12 करोड़ से ऊपर तीन साल का होता है। पिछला टेंडर तीन साल पहले भरद्वाज फैसिलिटी नामक कंपनी को 2020 में मिला था। जिसका काम 2023 फेरवरी में ख़त्म हो गया। बीएसएल ने फिर उसी कंपनी को एक्सटेंशन दिया जो 19 मई को ख़त्म हो गया। अब कंपनी चली गई, पर नया टेंडर अलॉटमेंट नहीं हुआ। दुविधा यह है कि पिछली कंपनी ने सफाई मित्रो का एक माह 19 दिन का पेमेंट नहीं किया है, साथ ही साल भर का EL और बोनस नहीं दिया है।

अपने वेतन और बकाया रूपये की मांग को लेकर अब कर्मी काम बंद कर दिए है। टाउनशिप में 20 मई से कचरा उठाव का काम बंद है। जय झारखण्ड मजदू समाज के जनरल सेक्रेटरी बी के चौधरी ने कहा कि मजदुर कंपनी से अपना पूरा बकाया वेतन देने की मांग कर रहे है। उसके बाद ही काम पर लौटेंगे। सबने अपना बाल्टी, ठेला और झाड़ू जमा कर दिया है और मानने को तैयार नहीं है।

BSL की किरकिरी होना लाजमी है –
जिस बीएसएल में ईडी पीएंडए और सीजीएम बी एस पोपली जैसे डैनेमिक ऑफिसर्स है, उस कंपनी में इतने क्रिटिकल काम का टेंडरिंग होने में तीन महीने से ज्यादा वक़्त लग गया। इस पर लोग चर्चा कर रहे है। बी के चौधरी का कहना है कि इस स्तिथि का पूर्ण जिम्मेदार बीएसएल प्रबंधन है। जब प्रबंधन के अधिकारियो को पता था की टेंडर फरवरी में खत्म हो जायेगा, तो कुछ महीने पहले ही टेंडर प्रोसेस शुरू कर देना चाहिए था। पर आज तक नहीं किया गया, पता नहीं क्या कारण है ?

बताया जा रहा है कि तीन साल पहले भी ऐसा ही हुआ था। उस वक़्त झारखण्ड प्रदुषण बोर्ड ने बीएसएल की जमकर खिंचाई की थी। अब फिर वही हाल है।

बीएसएल के प्रवक्ता मणिकांत धान से इस बाबत पूछा गया है, जैसे ही जवाब आएगा उसे लगा दिया जायेगा। बताया जा रहा है कि फिलहाल स्तिथि को सँभालने के लिए यह काम HSCL को टेम्परोरी तौर पर दे दिया गया है, साथ ही टेंडर प्रोसेस किया जा रहा है। पर अभी भी स्तिथि नॉमल होने के कुछ दिन लग सकते है।


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