Bokaro: बोकारो स्टील प्लांट (BSL) से सटे विस्थापित गांव रौतडीह में स्थिति उस समय भयावह हो गई, जब शनिवार की सुबह ऐश पोंड से छाई युक्त पानी बहने लगा और बाढ़ आ गई। फ्लाई ऐश (Fly Ash) युक्त प्रदूषित पानी सड़को और घरों के अंदर घुस गया। पूरा गांव डूब गया। यह घटना हरला थाना अंतर्गत गेट नंबर-3 के करीब स्तिथ बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (BPSCL) के ऐश पोंड की है।
गांव वालों को जान बचाने के लिए अपने घरों से बाहर भागना पड़ रहा है। गांव के गलियों, घरों और खेतों में राख युक्त पानी भर गया है। महिला, पुरुष, बच्चे और बूढ़े गांव के बाहर एक पेड़ के नीचे शरण लिए हुए है। दोपहर 2 बजे तक उनके पास बीएसएल या बीपीएससीएल से कोई मदद नहीं पहुंची थी। इस घटना की जानकारी इन कंपनियों के प्रबंधन को थी पर अधिकारियों ने गांव वालो की कोई सुध नहीं ली।
गांव वाले बिना पानी और खाने के गांव के बाहर मदद की आस में बैठे थे। भूख से बच्चे रो रहे थे, महिलाएं परेशांन और दुखी थी। किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। घर के अंदर पानी घुसने से सारा सामान डूब गया। गांव में 13 कुएं है जिसका पानी अब पीने लायक नहीं रहा। फ्लाई ऐश युक्त पानी इन कुओं में घुस कर उसको बर्बाद कर चूका है। रात गुजारने और खाने की चिंता गांव में सबको सता रही है।
सुचना मिलने पर जब पत्रकारों का एक दल रौतडीह गांव पंहुचा। उसके बाद प्रसाशन को सुचना मिली। डीसी बोकारो कुलदीप कुमार ने तुरंत प्रसाशनिक अधिकारियों को गांव वालो के मदद के लिए भेजा। रौतडीह में करीब 22 परिवार रहते है। जिसमे 30 के करीब बच्चे है। यह लोग बेहद गरीब है। प्लांट और शहर में मजदूरी कर अपना पेट पालते है।
गांव में थोड़ी खेती कर अपना गुजरा चलते है। गांव के एक मेघनात रजवार ने बताया घटना सुबह 8.30 बजे की है। वह लोग सभी अपने घरो में थे तभी पूरी आवाज़ के साथ फ्लाई ऐश युक्त पुरे गांव में घुसने लगा। वह लोग कुछ समझ पाते तब तक सबके घरों में फ्लाई ऐश युक्त काला पानी घुसने लगा। उन लोगो ने बिना समय गवाएं जो जरुरी चीजें थी लेकर गांव के बाहर भागे।
मंजू देवी ने कहा कि स्तिथि बड़ी भयावह थी अचानक सवेरे बाहर हल्ला होने लगा। जब तक वह कुछ जान पति तब तक पूरा काला पानी उसके घर के अंदर घुसने लगा। बिना कुछ सोचे-समझे उसने अपने 7 महीने के बच्चे को उठाया और जिस दिशा में लोग भाग रहे थे वह भी भागने लगी। अधिकतर गांव में रहने वालो के साथ ऐसा ही हुआ। जो जैसा था सब छोड़ कर लोग भागे।
गांव कि दूसरी चंपा देवी ने कहा कि सुबह से किसी घर में चूल्हा नहीं जला है। बच्चे तक भूखे और प्यासे है। किसी तरह गांव के कुछ युवक 2 किलोमीटर दूर प्लांट गेट से पानी लाये तो उनकी प्यास बुझी है। उनलोगो ने खाना नहीं खाया है। गांव के ही भोला रजवार ने कहा पानी उतरने में करीब तीन दिन लगेगा। पूरी खेती भी बर्बाद हो गई। उनलोगो ने किसी तरह जानवरो को बचाया।
बताया जा रहा है कि बीपीएससीएल कंपनी अपने निकलने वाले छाई (फ्लाई ऐश) को ऐश पोंड में डंप करती है। ऐश पोंड में छह कम्पार्टमेंट बने हुए है। जिनमे बारी-बारी से फ्लाई ऐश पाइपलाइन के जरिये गिरता है। एक-एक कर हरेक कम्पार्टमेंट से फ्लाई ऐश निकल कर ट्रांसपोर्टिंग कर बगल के माउंड में डाल दिया जाता है। देश के अन्य पावर प्लांटों की तरह फ्लाई ऐश का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बताया जा रहा है कि इसी दौरान ऐश पोंड का कोई एक कम्पार्टमेंट भर गया और छाई युक्त पानी भर-भरा कर बाहर निकलने लगा जिससे यह हादसा हुआ।
बता दें, कुछ दिनों पहले ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) के अध्यक्ष एके रस्तोगी ने शनिवार को सदस्य सचिव को बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (बीपीएससीएल) से बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के आसपास प्रदूषण पैदा करने वाली फ्लाई ऐश के बारे में पूछताछ करने का निर्देश दिया था। चेयरमैन ने सदस्य सचिव को इसका मूल्यांकन कर रिपोर्ट देने ले लिए कहा था। जिसके बाद जेएसपीसीबी के एक कंसलटेंट इंजीनियर ने स्थिति का आकलन करने के लिए बीएसएल और बीपीएससीएल का दौरा किया था।
बीपीएससीएल के सीईओ, के के ठाकुर ने कहा हम इस मामले में आवश्यक कार्रवाई कर रहे है।
डीसी बोकारो कुलदीप कुमार ने कहा कि सुचना मिलते ही तुरंत राहत कार्य के लिए एक दल गांव भेजा गया है।
बीएसएल के प्रवक्ता मणिकांत धान ने कहा कि जिस चैनल के माध्यम से राख तालाब 4ए से पानी 4बी तक बहता है, वह आज सुबह टूटा हुआ पाया गया, जिसके कारण चैनल का पानी आसपास के इलाकों में बह गया। हालांकि, राख तालाब में सभी गतिविधियों को संभालने वाली बीपीएससीएल तुरंत हरकत में आई और चैनल से रिसाव/ओवरफ्लो को बंद कर दिया गया। सुबह करीब साढ़े दस बजे स्थिति सामान्य हुई। उल्लेखनीय है कि बीपीएससीएल द्वारा प्रतिदिन चैनलों का निरीक्षण किया जा रहा है और देर शाम तक कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। बीपीएससीएल ने हाल ही में बड़े पैमाने पर राख के टीले के जैव-स्थिरीकरण में भी कदम रखा है। पहले से ही राख के टीले के 5500 वर्ग मीटर क्षेत्र को वेटिवर घास से ढक दिया गया है जो वैज्ञानिक रूप से बहुत प्रभावी साबित हुआ है। अन्य 8500 वर्ग मीटर क्षेत्र को शीघ्र ही जैव स्थिरीकरण के लिए लिया जाएगा। चरणों में, BPSCL द्वारा जैव स्थिरीकरण के लिए पूरे राख टीले क्षेत्र की योजना बनाई गई है, शायद झारखंड में इस तरह की पहली पहल है।