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बोकारो में परंपरागत तरीके से मनाई गई चित्रगुप्त पूजा


Bokaro: ज़िले में शनिवार को बड़े ही धूमधाम से कायस्थों ने अपने आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा की। चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर-मूर्ति की पूजा कर कायस्थों ने उनको अक्षत्, फूल, मिठाई, फल आदि चढ़ाया। इस पावन दिन पर कायस्थों ने अपनी किताब, कलम, दवात आदि चित्रगुप्त जी के समक्ष रख पूजा की।

वैसे तो पुरे ज़िले में कई जगह कायस्थ महापरिवार द्वारा चित्रगुप्त पूजा की गई, पर सेक्टर 3 एवं सिटी सेंटर की संयुक्त पूजा की बात ही निराली थी। समिति के अध्यक्ष भइया प्रीतम ने कहा कि यह पूजा बोकारो जिले की प्रथम सार्वजनिक पूजा है जो 1973 से आज तक अनवरत जारी है। कायस्थों ने भगवान श्री चित्रगुप्त के चित्र पर माल्यार्पण कर उनकी भक्ति भाव से पूजा अर्चना की।बोकारो- जनव्रित 2 मे धूमधाम से मनाई गई भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा

चित्रगुप्त सेवा समिति जनव्रित 2 की ओर से शनिवार को भगवान चित्रगुप्त महाराज की विधि पूर्वक एवं पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की गई। मौके पर चित्रांश परिवार के सदस्य मौजूद थे। इस मौके पर लोगों ने भगवान चित्रगुप्त के मूर्ति की पूजा की। चित्रगुप्त का संबंध लेखन कार्य से होने के कारण इस दिन कलम और दवात की पूजा भी की जाती है.

मौके पर अध्यक्ष श्री पांडेय कृष्ण कुमार , महासचिव श्री अभिजीत रमण , कोषाध्यक्ष श्री मनीष कुमार सिन्हा , सलाहकार श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव,श्री के पी सिन्हा , श्री आर आर वर्मा,श्री नवल किशोर प्रसाद,श्री अशोक कुमार सिन्हा, श्री अतुल कुमार,श्री रविन्द्र कुमार सिन्हा, श्री ए के सिन्हा,श्री निर्मल कुमार आदि मौजूद थे।


चित्रगुप्त पूजा

चित्रगुप्त भगवान का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था। इनका कार्य प्राणियों के कर्मों के हिसाब किताब रखना है। मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के दिन होती है। इनकी पूजा से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है। चित्रगुप्त जी का विवाह भगवान सूर्य की पुत्री यमी से हुआ था, इसलिए वह यमराज के बहनोई हैं। यमराज और यमी सूर्य की जुड़वा संतान हैं।

इस पूजा का खास महत्व कायस्थों में माना जाता ह। क्योंकि कायस्थों की उत्पत्ति चित्रगुप्त से मानी जाती है। इसके लिए उनके लिए यह पूजन काफी विशेष माना जाता है। मान्यता के मुताबिक महाभारत में शर-शैया पर पड़े पितामह भीष्म ने भगवान चित्रगुप्त का विधिवत पूजन किया था जिससे उन्हें मुक्ति मिल सके। इसके लिए यह पूजन बल, बुद्धि, साहस और शौर्य के लिए काफी अहम माना जाता है। चित्रगुप्त की पूजा करने से साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।माना जाता है कि कोई भी कायस्थ दिवाली से कलम स्पर्श नहीं करता है। चित्रगुप्त भगवान के पूजन के पश्चात ही वह कलम स्पर्श करेगा। श्री चित्रगुप्त के वंश में स्वामी विवेकानंद, महर्षि महेश योगी, राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, फिराक गोरखपुरी, अमिताभ बच्चन और हजारों महान हस्तियां इसी वंश से आती हैं।


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