Bokaro: अनुभव आधारित शिक्षा (एक्सपीरियंशियल लर्निंग) के तहत दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) बोकारो के विद्यार्थी शुक्रवार को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक पल का साक्षी बने।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शुक्रवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के दौरान डीपीएस बोकारो के 66 विद्यार्थियों का दल भी वहां मौजूद रहा। वे सुबह से ही काफी उत्सुक रहे और इस अविस्मरणीय क्षण का इंतजार कर रहे थे, जो दोपहर 2 बजकर 35 मिनट, 17 सेकेंड पर खत्म हुआ। जैसे ही चंद्रयान- 3 ने एलएमवी- 3 से अंतरिक्ष को भेदते हुए चांद फतह करने के लिए उड़ान भरी, तालियों की गड़गड़ाहट से वहां का माहौल गुंजायमान हो उठा।
सामने बैठकर साक्षात इस गौरवशाली क्षण को देखना उनके लिए यादगार अनुभव रहा। इस आयोजन ने न केवल अंतरिक्ष अन्वेषण के बारे में उनके ज्ञान को समृद्ध किया, बल्कि उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में करियर पर विचार करने के लिए भी प्रेरित किया। बच्चे वहां अंतरिक्ष विज्ञान की बारीकियों व रहस्यों से अवगत हुए। चंद्रयान- 3 और इसके प्रक्षेपण के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी उन्होंने प्राप्त की।
उल्लेखनीय है कि डीपीएस बोकारो के विद्यार्थी पहली बार इस प्रकार के वृहत अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल हुए। कक्षा 6 से 12वीं तक के 66 विद्यार्थी अपने छह शिक्षकों के साथ गुरुवार को फ्लाइट से चेन्नई उतरे। वहां से श्रीहरिकोटा पहुंचकर चंद्रयान-3 द्वारा चांद के सतह छूने की इस ऐतिहासिक शुरुआत का प्रत्यक्ष साक्षी बने। वहां गए विद्यार्थियों में आद्या मिश्रा, आदित्य भक्ता, ध्रुव लोधा, सोहम राज, अंशुमन त्रिपाठी, मानव श्रीवास्तव, अक्षण्या, श्रीनिधि पुष्कर, प्रखर गुप्ता, सिद्धांत गुप्ता आदि ने बताया कि उनके लिए यह अनूठा अनुभव रहा।
वहां मौजूद वरिष्ठ वैज्ञानिकों से रू-ब-रू होना, अंतरिक्ष विज्ञान के उपकरणों को सामने से देखना और समझना हमेशा यादगार रहेगा। छात्रा आद्या ने दूरभाष पर कहा कि जैसी कल्पना हमने की थी, उससे कहीं अधिक यह मजेदार अनुभव रहा। तपती धूप और उमस भरी गर्मी भी इस उत्साह से आगे फीकी पड़ गई। खास तौर से अंतिम 10 सेकेंड सबसे अधिक रोमांचकारी रहा। चारों तरफ कोलाहल के बीच उल्टी गिनती और जीरो आते ही प्रक्षेपण का पल सबसे यादगार रहा।
बच्चों ने चंद्रयान- 3 का मिशन सफल होने की आशा जताई, ताकि यह भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में को एक नई गति और ऊर्जा दे सके। उन्होंने इस पल को अपने फोन के कैमरों में कैद भी किया। इससे प्रेरित होकर कई विद्यार्थियों ने अंतरिक्ष यात्री, वैज्ञानिक या इंजीनियर बनने की अपनी आकांक्षाएं व्यक्त कीं।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति बच्चों में जागरूकता बढ़ाने तथा उनमें वैज्ञानिक चेतना विकसित करने के उद्देश्य से यह विशेष ट्रिप आयोजित की गई। चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण का गवाह बनना हमारे विद्यार्थियों के लिए एक अविश्वसनीय अवसर रहा, जिसने उनकी जिज्ञासा जागृत की और हमारे देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों पर गर्व की भावना जगाई। आशा है कि यह अनुभव उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में अपने सपनों को आगे बढ़ाने और हमारे देश की प्रगति में योगदान देने की दिशा में प्रोत्साहित करेगा।