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फिल्म ’83’ देख क्रिकेट सिखने वाले बच्चों में और मजबूत हुआ आत्मविश्वास, डॉ आनंद भी थे साथ


Bokaro: 1983 की वर्ल्ड कप विजेता टीम इंडिया पर बनी बायोपिक फिल्म ’83’ लोगों को बेहद पसंद आ रही है। खासकर बोकारो के क्रिकेट प्रेमी इस फ़िल्म की जमकर तारीफ कर रहे है। आज बोकारो मॉल के पीवीआर में इस फिल्म को देखने पहुंचे स्टार क्रिकेट अकादमी के 70 बच्चो ने 1983 वर्ल्ड कप के ऐतिहासिक जीत से न केवल कुछ सीखा बल्कि उस पल को जिया भी। कई बच्चे फिल्म देखकर काफी इमोशनल हो गए।

फिल्म ’83’ उस टूर्नामेंट में भारत की विजय का भावुक-सिनेमाई डॉक्युमेंटेशन है। यह फिल्म अकादमी के कोच राजू यादव की ओर से एक उपहार थी, जो इन बच्चों को खेल की भावना से खेल खेलने का महत्व सिखाना चाहते थे। इन बच्चो के साथ इस कार्यक्रम के चीफ गेस्ट, बोकारो के प्रख्यात न्यूरोसर्जन, डॉ आनंद कुमार और टीम मैनेजर रणधीर सिंह, संदीप कुमार ने भी फ़िल्म देखीं और बच्चो की हौसला अफ़ज़ाई की। बच्चे मूवी देख कर बहुत खुश थे। डॉ आनंद ने कहा कि ” भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, यह एक भावना है। लोगों का खेल से जुड़ाव कुछ ऐसा है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता”।

डॉ आनंद ने बच्चो का उत्साहवर्धन किया और उनसे कहा की वह पुरे जज्बे से खेले। भारत में खेल से जुड़ा विकास का बीज 1983 में बोया गया था, जब कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने अपना पहला विश्व कप जीता था। उन विपरीत परिस्तिथियो में भी एक प्रेरणादायक कपिल देव ने आत्मविश्वास की भावना को प्रेरित किया और टीम को गौरव दिलाया। हमें इससे सिख लेनी चाहिए। इस कार्यक्रम के स्पोंसर, व्यवसाई उमेश जैन भी उपस्तिथ थे।

अकादमी के 9 वर्षीय आयान ने कहा कि, वह सभी यह मूवी देखकर बहुत प्रभावित हुए है। उन्हें अच्छा खिलाड़ी बनना है और देख का नाम रोशन करना है। यह मूवी देखकर हमने बहुत कुछ सीखा है। एक दूसरे बच्चे, निखिल ने कहा यह फिल्म की कहानी हमलोगो के लिए बहुत ही प्रेरणदायक है।

बता दें, स्टार क्रिकेट अकादमी सेक्टर 12 के रणविजय कॉलेज के मैदान में चलाई जा रही है। इसकी नींव चार साल पहले राजू यादव द्वारा रखी गई थी। इस अकादमी में छह साल के उम्र से लेकर 18 साल तक के बच्चे क्रिकेट खेलना सीखते है। राजू यादव का मानना है कि बच्चे मूवी के माध्यम से खेल के साथ-साथ उससे जुड़े संघर्ष और मेहनत को भी जानेंगे। उन्हें समझ में आएगा की उन्हें किसी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को कमजोर या ताकतवर नहीं समझना है, बल्कि अपने खेल पर फोकस करना है।

30 वर्षीय राजू यादव एक रेलकर्मी है जो बोकारो स्टेशन में पोस्टेड है। वह क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी रहे है। उन्होनें 2012 से लेकर 2015 तक रंजीत ट्रॉफी खेला है। अकादमी खोलने के पीछे उनकी सोच बोकारो में अच्छे क्रिकेट खिलाड़ियों की फ़ौज तैयार करनी है। जो अपने राज्य और देश का नाम रोशन करें। उनका कहना है की यह अकादमी उनका जूनून है। वह क्रिकेट सिखाने के एवज में बच्चो से महीने भर में सिर्फ एक क्रिकेट बाल लेते है, गरीब बच्चो को वह भी माफ़ है। इन चार सालो में स्टार क्रिकेट अकादमी के 2 बच्चे स्टेट क्रिकेट टीम में चयनित हुए है और काफी बच्चे जिला से खेल रहे है। अभी तो सिर्फ शुरुआत है।

जूनियर कोच विकास कुमार भी प्रोफेशनल क्रिकेटर है। जो अंडर 19 में झारखण्ड से कई मैच खेले है और फिलहाल अपने क्रिकेट करियर पर फोकस किये हुए है। इस अकादमी की जरूरतों को ज़िले के मानिंद लोग जैसे बेरमो विधायक, कुमार जयमंगल (अनूप सिंह) और अन्य लोग पूरा करते है। टीम मैनेजर रणधीर सिंह ने कहा इन बच्चो को क्रिकेट सीखते देख बड़ा अच्छा लगता है। वह इस अकादमी को और मजबूत करना चाहते है। ताकि बोकारो के बच्चे भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने देश और शहर का नाम रोशन करें।

 


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