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तीन साल में ‘Mass leader’ कहे जाने वाले बोकारो के यह तीन लोकप्रिय नेताओ ने विदा ली


Bokaro: पिछले तीन वर्षों में, झारखंड ने बोकारो के तीन दिग्गज नेताओं को खो दिया, जो जनता के बीच बेहद लोकप्रिय थे। सबसे पहले बेरमो विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह, उसके बाद बोकारो के पूर्व विधायक समरेश सिंह और हाल ही में डुमरी विधायक और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हुआ। तीनों नेताओं की अपने-अपने क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड में मजबूत उपस्थिति थी और वे राजनीति के क्षेत्र के माहिर खिलाड़ी माने जाते थे।

दिवंगत राजेंद्र सिंह


राजेंद्र प्रसाद सिंह बेरमो से छह बार विधायक रहे और संसदीय व श्रमिक राजनीति में उच्च पद तक पहुंचे। वह एक अनुभवी राजनेता (कांग्रेस) थे, जिनका 24 मई, 2020 को निधन हुआ। उनके निधन कई नेताओं ने चाहे वह पक्ष के हो या विपक्ष के शोक व्यक्त किया, और उनके अंतिम संस्कार में समर्थकों और शुभचिंतकों की भारी भीड़ उमड़ी।

राजेंद्र सिंह की मृत्यु के बाद, बेरमो में उपचुनाव हुआ और उनके बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार कुमार जयमंगल सिंह ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। बेरमो की जनता का आज भी मानना है कि राजेंद्र सिंह सबसे लोकप्रिय नेता थे, जिनका यहां के लोगों से गहरा व्यक्तिगत जुड़ाव था।’

दिवंगत समरेश सिंह


समरेश सिंह, जिन्हें ‘दादा’ के नाम से अधिक जाना जाता था, का निधन 1 दिसंबर, 2022 को हुआ। वे भाजपा के संस्थापक सदस्य थे और वर्ष 1977 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। वर्ष 1980 में मुम्बई में हुए भाजपा के प्रथम अधिवेशन में उन्होंने दल का चुनाव चिह्न कमल का फूल रखने का सुझाव दिया था, जिसे स्वीकृत कर लिया गया था।

समरेश सिंह साल 1985 और 1990 में बीजेपी के टिकट पर बोकारो से विधायक चुने गए थे। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी बहू श्वेता सिंह को राजनीति में प्रवेश कराया। अब उनकी विरासत को वह आगे बढ़ा रही है। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर बोकारो विधानसभा से चुनाव लड़ा पर 99 हज़ार वोट लाकर भी हार गई।

बोकारो में ही नहीं, इस पूरे क्षेत्र के नेताओं और निवासियों के साथ ‘दादा’ का गहरा लगाव था। बोकारो के निवासी आज भी कहते है कि ‘हमने एक महान नेता खो दिया, जो हमारी आवाज हुआ करता था’।

दिवंगत जगरनाथ महतो 


बिनोद बिहारी महतो के निधन के बाद जगरनाथ महतो (झामुमो) ने झारखंड में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। उनके अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़ ने उन्हें एक जन नेता के रूप में याद किया। वे वर्ष 2005 से 2019 तक लगातार चार बार डुमरी विस क्षेत्र के विधायक बने और वर्तमान झारखंड सरकार में शिक्षा मंत्री बने। उनका पूरा राजनीतिक जीवन आंदोलनों से भरा रहा और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। अलग झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे। मुकदमों और जेल जाने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

इन तीन दिग्गज नेताओं के जाने से झारखंड के राजनीतिक क्षेत्र में एक खालीपन सा आ गया है। वे लोकप्रिय नेता थे जिनकी अपने-अपने क्षेत्र के लोगों के साथ मजबूत उपस्थिति और लगाव था। राज्य की राजनीति और विकास में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।”


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