Bokaro: झारखंड भाषा संघर्ष समिति (जेबीएसएस) के सदस्यों ने बुधवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषा सूची में शामिल भोजपुरी और मगही को वापस लेने का अनुरोध किया। जेबीएसएस की टीम ने राज्यपाल को पत्र भी सौंपा जिसमें उल्लेख किया गया है कि कैसे स्थानीय मूलवासी और आदिवासी इसके खिलाफ आंदोलनरत है।
उन्होंने बताया कि कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने विशेष रूप से धनबाद और बोकारो में विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रश्न पत्र भाग-2 में भोजपुरी और मगही भाषा को शामिल किया है. इससे स्थानीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, जिससे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
विकास कुमार महतो ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से मिलकर प्रतियोगी परीक्षाओं को रोकने और भोजपुरी और मगही को जिलावार क्षेत्रीय भाषा सूची से वापस लेने का आग्रह किया है. इन दो भाषाओं के समावेश से जनता में आक्रोश है। सरकार के इस फैसले के विरोध में जन आक्रोश सभा, पद यात्रा, नुक्कड़ सभा आदि का आयोजन किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि भोजपुरी और मगही को भाषा में शामिल किए जाने के बाद विवाद छिड़ गया। स्थानीय निवासियों ने यहां विभिन्न इलाकों में विरोध और प्रदर्शन किया। आंदोलनकारी मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे और दोनों भाषाओं को सूची से हटा दे। स्थानीय युवा भी आक्रोशित है।
इसी क्रम में झारखंड भाषा संघर्ष समिति (जेबीएसएस) ने नावाडीह में करीब पांच किलोमीटर लंबा मशाल जुलूस निकाला। हज़ारो युवाओं ने इसमें भाग लिया। एक अन्य स्थानीय नेता सोहराय हांसदा ने कहा, “झारखंडी लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं। चारों राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं”।
हाल ही में स्थानीय निवासियों द्वारा भाषा विवाद के विरोध में बनाई गई मानव श्रृंखला में भाजपा के पूर्व सांसद रविंद्र राय पर भी हमला हुआ। वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री और डुमरी के विधायक जगरनाथ महतो ने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री को भाषा को लेकर उपजे स्थानीय निवासियों के नाराजगी के बारे में सूचित किया गया है और जल्द ही राज्य सरकार इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाएगी।