Bokaro: बोकारो के एक निवासी को उसकी खोई हुई पत्नी 37 साल बाद मिली। इस खबर की काफी चर्चा हो रही है। इतने साल दूर रहने के बावजूद दोनों पति-पत्नी एक दूसरे को पहली ही नजर में न सिर्फ पहचान लिए बल्कि मिलने के ख़ुशी में दोनों के आँखों से आंसू छलक गए। 28 वर्ष की उम्र में लापता हुई महिला मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण रास्ता भटक कर घर से काफी दूर चली गई थी।
महिला, गनु बाउरी, पिंड्राजोरा थाना छेत्र के चौरा निवासी उमेश बाउरी की पत्नी है। लगभग चार दशकों से बंगाल के बक्खाली समुद्र तट के पास एक चाय की दुकान पर काम कर रही थी और चाय की दुकान के मालिक बनेश्वर मंडल के निवास पर रह रही थी। गुमशुदा महिला के बारे में जानकारी पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के संरक्षक और सचिव अंबरीश नाग बिस्वास को करीब 15 दिन पहले एक पर्यटक से मिली थी।
नाग बिस्वास ने कहा, “महिला को वापस अपने परिवार से मिलाना हमारे लिए एक चुनौती थी। क्योंकि महिला अपने पिछले जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकती थी। सिवाय इस तथ्य के कि वह चौरा बस्ती नामक जगह से थी।” उन लोगों ने महिला के साथ उसके संभावित जन्मस्थान के बारे में बात करने के तरीके को समझने के लिए बात की।
उसने बोलते समय जिस लहजे का इस्तेमाल किया, उससे नाग बिस्वास को एहसास हुआ कि वह बीरभूम, बांकुरा और पुरुलिया जिले के आदिवासी समुदाय से हो सकती है। पर एक एम्बुलेंस चालक ने नाग को बताया कि झारखंड में चौरा बस्ती नामक स्थान मौजूद है। अंत में हैम रेडियो ने पुलिस और जिला प्रशासन की मदद से महिला के परिवार का पता लगाया। उसे उसके पति को सौंप दिया गया।
महिला को बस इतना याद है कि इतने वर्षों तक वह फुटपाथ पर सोई, मछुआरों के साथ मजदूरी की और पश्चिम बंगाल पहुँच गई। वह बंगाल कैसे पहुंची यह उसे याद नहीं है। बस इतना जानती है कि फुटपाथ पर सोती थी। भूख लगने पर मांग कर खाना खाती थी। काकदीप सुंदरवन क्षेत्र में मछुआरों के साथ रहकर उसने मजदूरी की।
यहां आने पर उसे याद आया कि उसका पूरा परिवार है। दो छोटी-छोटी बेटियां है। जब गनु देवी घर पहुंची तो पता चला कि दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। पिंड्राजोरा थाना प्रभारी प्रभाकर मुंडा ने बताया कि तलाश करने पर पता चला कि उमेश बाउरी की पत्नी 37 साल पहले लापता हुई थी। पिड्राजोरा पुलिस पति को लेकर बंगाल गयी और महिला से मिलवाया।
दोनों ने एक – दूसरे को देखते ही पहचान लिया। पुलिस रविवार की रात महिला को लेकर पिंड्राजोरा थाना पहुंची। उमेश और उसके परिवार वाले आस छोड़ चुके थे। शुरआत में पांच वर्षों तक गनु की तलाश की गयी, लेकिन नहीं मिली। उस समय उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं थी। वह घर से बाजार के लिए निकली थी, फिर नहीं लौटी।