Bokaro: बिरसा मुंडा के नाम के स्मरण मात्र से ही अन्याय के खिलाफ संघर्ष की प्रेरणा मिलती है। वह शोषण के खिलाफ एवं हक़ के आंदोलन के संघर्ष के शक्ति पुंज रहे हैं। उनउक्त बातें पूर्व मंत्री उमाकान्त रजक ने सोमवार को चंदनकियारी में आजसू पार्टी द्वारा मनाये जा रहे बिरसा जयंती कार्यक्रम में कहा।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के दमनकारी शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन के लोकनायक बिरसा भगवान की आज 146वीं जयंती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में आजादी और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक बिरसा मुंडा का जन्म आज के ही दिन 15 नवंबर 1875 में झारखंड के रांची जिले के इलिहतु गांव में हुआ था। बिरसा मुंडा मात्र 25 साल की उम्र में अपने हक और स्वयत्तता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए थे.
उन्होंने कहा कि हक़ व हकूक के लिए एवं अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए बिरसा भगवान के बताये गये रास्ते आज भी देश के लिए प्रासंगिक है। उन्हें आदर्श मानकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है।
मौके पर तपन सिंह चौधरी,राजेश भगत,बाटुल राय,प्रकाश शर्मा,नरेश महतो,शरत टुडू,शिव प्रसाद महतो,वशिष्ठ सिंह चौधरी,देवदत्त रजवार,मुकेश बाउरी,उर्मिला देवी,देवेन्द्र महतो,करमचाँद महतो,गणेश दास,मनोज महतो,प्रबोध सिंह चौधरी,राजीव रंजन झा,असीत मिस्त्री,रामू सिंह चौधरी,शंकर रजवार,अजीत दास,बेलाल अंसारी,सनातन ठाकुर,सुनील महतो,आदि उपस्थित थे।