Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

BSL एडीएम के गेट पर कुछ ऐसा था नजारा, घसीट-घसीट कर हटाए गए विस्थापित, कई घायल


Bokaro: नौकरी की मांग को लेकर बोकारो स्टील प्लांट (BSL) मुख्यालय के मुख्य द्वार पर धरना दें रहे विस्थापित अपरेंटिस संघ के सदस्यों को 14 दिन बाद सोमवार को हटा दिया गया। मौके पर तैनात सीआईएसएफ और होमगार्ड के जवानों ने आंदोलनकारियों को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, जिसमें कुछ विस्थापित घायल हो गए। यह घटना सुबह उस समय हुई जब आंदोलनकारियों ने बीएसएल के इस्पात भवन के तीनों गेट को बंद करने का प्रयास किया।

विस्थापितों अपरेंटिस संघ ने दावा किया है कि सीआईएसएफ जवानों ने उनपर लाठीचार्ज किया है।  बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों में महिलाओं सहित लगभग एक दर्जन लोग घायल हुए है। प्रदर्शन करने वालों में एक पूजा ने कहा, “हम प्रदर्शन कर रहे थे तभी सीआईएसएफ की महिला कांस्टेबलों ने आकर उन्हें पीटना शुरू कर दिया। मेरे हाथ और चेहरे पर चोट आई है। यह अन्याय है।”

अपरेंटिस संघ के नेता अमजद हुसैन ने कहा, “बीएसएल प्रबंधन के आदेश पर शांति से आंदोलन कर रहे विस्थापित लोगों पर यह बर्बर कार्रवाई की गई है। सीआईएसएफ ने बेरोजगार विस्थापित युवाओं और महिलाओं को घूंसे और डंडों से पीटा। झारखंडी संस्कृति के प्रतीक, नगाड़ा को भी फेंक दिया गया”। हुसैन ने कहा कि उन सभी ने बीएसएल में प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त किया था। बीएसएल प्रबंधन ने कहा था कि प्रशिक्षु बनने के बाद ही उन्हें रोजगार मिलेगा। इसलिए उन लोगो ने अपरेंटिस किया था। लेकिन उन्हें कोई नौकरी नहीं दी गई “।

सिटी पुलिस स्टेशन के निरीक्षक संतोष कुमार ने कहा, “कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ। मजिस्ट्रेट के आदेश पर हमने आंदोलनकारियों को अपने वाहनों पर बिठाकर कैंप जेल भेज दिया। वह लोग 11 मार्च से नौकरी की मांग को लेकर सड़क और गेट को जाम किये हुए थे जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो रही थी “।

पूछने पर बीएसएल के संचार प्रमुख, मणिकांत धान ने नौकरी की मांग को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। बस उन्होंने आज के घटनाक्रम को बताते हुए कहा कि बीएसएल सुरक्षा या सीआईएसएफ द्वारा आंदोलनकारियों पर कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया”।

बताया जा रहा है कि विस्थापित अपरेंटिस संघ के सदस्यों ने पहले बीएसएल के इस्पात भवन के तीनों गेटों को घेरने की घोषणा की थी। जिसको लेकर सुबह से ही फाॅर्स तैनात थी। बता दें, इस्पात भवन को बीएसएल के मुख्यालय के रूप में जाना जाता है। इसी में निदेशक प्रभारी, अमरेंदु प्रकाश, कार्यकारी निदेशको, संचार प्रमुख और अन्य महत्वपूर्ण विभाग के अधिकारियों के कार्यालय है।

धरने के चलते पिछले 14 दिनों से, शीर्ष अधिकारियों सहित अन्य कर्मियों इस्पात भवन में प्रवेश और निकास के लिए पीछे के गेट का उपयोग करना पड़ रहा था। विस्थापथ अपरेंटिस के सदस्यों ने मुख्य द्वार को अवरुद्ध रखने से महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की इकाई बीएसएल कि भारी बदनामी हो रही थी।

आंदोलनकारियों ने न केवल बीएसएल के मुख्य द्वार से प्रवेश अवरुद्ध कर रखा था, बल्कि मानव संसाधन विभाग का मुख्य प्रवेश द्वार भी प्रभावित था और संयंत्र की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर यातायात की आवाजाही ठप हो गई है। सौ से ज्यादा आंदोलनकारी दिन-रात डेरा डाले हुए थे। इस्पात भवन के मुख्य द्वार पर ही सो रहे थे, खाना बनाकर खा रहे थे। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों को भारी परेशानी हो रही थी।


विस्थापित संघर्ष मोर्चा और झारखंड नवनिर्माण सेना की अनौपचारिक बैठक की गई कॉमरेड गुलाब चन्द्र की अध्यक्षता में अपने आवास में हुई। कॉमरेड गुलाब चन्द्र ने विस्थापित अप्रेंटिस संघ के आंदोलन का नैतिक समर्थन करते हुए कहा कि यदि सीआईएसएफ द्वारा विस्थापितों पर किए गए लाठीचार्ज की निंदा किया । BSL प्रबंधन की आलोचना करते हुए कहा कि त्रिपक्षीय वार्ता में जो बाते तय हुई थी उसका पालन प्रबंधन न कर तानाशाही रवैया अपनाई है जो शहर केलिए अच्छा संकेत नहीं है ।

उन्होंने कहा कि निदेशक प्रभारी अमरेंदु प्रकाश से हमारी दो दौर की बात में आश्वासन मिल था कि विस्थापितों के नियोजन पर एक नीति बनाए हैं जिससे विस्थापितों को लाभ मिलेगा चूंकि बहाली बहुत दिनों से नहीं हुई है ये गलत है । DPLR से बात कर अमल में लायेंगें ।उसी में अप्रेंटिस और सिपेट ट्रेनिजों को समाहित करेंगे क्योंकि उम्र आड़े नहीं आवे । कई दौर ED लेवल पर बातें भी चली है किंतु प्रबंधन में कई विस्थापित विरोधी अधिकारी जमे हैं वो अड़चन डाल कर निदेशक प्रभारी को गुमराह कर रहे है ।


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