Bokaro: झारखण्ड के बोकारो ज़िले में एयरपोर्ट से हवाई उड़ान शुरू होना एक मुद्दा है, जिस पर रह-रहकर नेता आवाज़ बुलंद करते रहते है। एयरपोर्ट कब शुरू होगा ‘यह ऊपरवाला ही जनता है’। पर यात्रा की जो व्यवस्था है, जिसपर गरीब से लेकर अमीर, हज़ारो लोग निर्भर है, उस पर दिग्गजो का ध्यान नहीं जा रहा है। बोकारो रेलवे स्टेशन में इन दिनों यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पर न विधायक और ना किसी पार्टी के नेता स्टेशन की गिरती व्यवस्था पर आवाज़ बुलंद कर रहे है।
ड्रॉपिंग पॉइंट –
हाल के महीनों में, बोकारो रेलवे स्टेशन पर ड्रॉपिंग प्वाइंट यात्रियों, विशेषकर बुजुर्गों, महिलाओं और शारीरिक रूप से अक्षम लोगो के लिए चिंता का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है। उन्हें स्टेशन में प्रवेश करने के लिए 100 गज से अधिक की दूरी पैदल तय करनी पड़ रही है, क्योंकि वाहन अब काफी दूरी पर रोक दिए जा रहे हैं। यात्रियों को स्टेशन के शेड तक छोड़ने की सुविधा बंद कर दी गई है। स्टेशन और ड्रॉपिंग प्वाइंट के बीच बढ़ते अंतर के कारण यात्रियों को कुलियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे उनका खर्च बढ़ गया है। बरसात में यात्रियों को भीग के जाना पड़ा रहा है।
पार्किंग चार्ज –
बोकारो रेलवे स्टेशन में गाड़ी घुसने मात्र से 25 रुपया देना पड़ता है। दूसरे स्टेशन की तरह यहां रेलवे का कोई नियम लागु नहीं होता है। नियम बताने पर पार्किंग स्टैंड में खड़े युवक बुरा बर्ताव करने से बाज नहीं आते। बोकारो रेलवे के सीनियर अधिकारी इस समस्या पर ध्यान नहीं देते। शिकायत करने पर टाल देते है। अधिकतर रेलवे स्टेशन पर 8 मिनट के अंदर तक पिक एंड ड्राप पर पैसे नहीं लगते। पर बोकारो स्टेशन में गाड़ी घुसी तो रूपये देने होते है।
एस्कलेटर (Escalator) और लिफ्ट मनमाने ढंग से चलता है –
यात्रियों के राहत के लिए प्लेटफार्म 1 से 2 जाने आने के लिए एस्कलटेयर लगा हुआ है। लिफ्ट भी है। पर अधिकतर समय यह दोनों बंद रहता है। ऐसा प्रतीत होता है कि रेलवे अधिकारी या स्टाफ इसको चलाने को लेकर सीरियस नहीं है। यह दिखावे के लिए रखा गया है। बुजुर्ग, महिलाएं, दिव्यांग और बीमार यात्रियों को काफी दिक्कत होती है। पर इनकी सुनने वाला कोई नहीं। कई बार तो एस्क्लेटर बीच में बंद हो जाता है। एस्क्लेटर और लिफ्ट के मनमाने ढंग से चलाये जाने को लेकर यात्रियों में काफी रोष है।
बैटरी कार –
बड़े स्टेशनो की तरह बोकारो रेलवे स्टेशन के पास भी बैटरी कार है। जिसे बीएसएल (BSL) ने पांच वर्ष पहले सीएसआर मद से यात्रियों के सुविधा के लिए दिया था। पर इसे चलता हुआ शायद ही किसी ने देखा होगा। इसके आभाव में भी बुजुर्ग और अन्य यात्रियों को काफी परेशानी होती है। पर बोकारो रेलवे के लोगो को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर किसी यात्री को कभी बैटरी कार की सुविधा लेनी होती है तो उसे पुरे प्रोसेस से गुजरना पड़ता है।
चार्ट डिस्पले सिस्टम –
चार्ट डिसप्ले बोर्ड एक साल से खराब है। जब डीआरएम या जीएम आते हैं तो विभाग के लोग पता नहीं किस जादू से उसे कुछ देर के लिए ठीक कर देते है। इसके बाद फिर से वह पुरानी स्थिति में आ जाता है।
कोच इंडिकेशन बोर्ड –
प्लेट फार्म संख्या दो और तीन में कोच इंडिकेशन बोर्ड कई माह से ख़राब है। उसका सुध लेने वाला कोई नहीं है। जिस कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वाटर वेंडिंग मशीन –
रेलवे स्टेशन पर वाटर वेडिंग मशीन खराब है। इसे इसलिए लगाया गया था ताकि लोग सिक्का डालकर आरओ (RO) का ठंडा पानी ले सकें। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि एक भी मशीन बोकारो में नहीं चल रही है। इस गर्मी में यात्री पानी खरीदने को मजबूर हो रहे है। यह मशीने किस मंशा से और क्यों बंद करके रखी हुई है, या ख़राब पड़ी हुई है, यह तो बोकारो रेलवे के सीनियर अधिकारी ही जाने।
इलेक्ट्रोनिंग टायलट मशीन –
इलेक्ट्रोनिंग टायलट मशीन आपूर्तिकर्ता ने लगाकर फोटो खिंचवालिया इसके बाद कोई आम यात्री को लाभ नहीं मिला। लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी प्रारंभ से बंद है। बैग स्कैनर, वैकिल स्कैनर मशीन से लेकर कई उपकरण खराब पड़े हुए हैं। जिसका सीधा संबंध यात्रियों के सुविधा से है।
बोकारो रेलवे स्टेशन-
बोकारो रेलवे स्टेशन, दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) के आद्रा रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आता है। यह अपने डिवीज़न का सबसे अधिक राजस्व कमाने वाले स्टेशन है। बोकारो में प्रतिदिन लगभग 12,000 लोग आते-जाते हैं, और लगभग 40 ट्रेनें गुजरती हैं। केंद्रीय बजट के तहत स्टेशन को अमृत भारत योजना में भी शामिल किया गया था। लेकिन, जनसुविधाएं बेहतर करने के बजाय सुविधाएं बंद हो रही है। सुविधाओं की कमी को लेकर यात्री दुखी और परेशान है।
ऊपर लिखे गए मामले में रेलवे का जो भी ब्यान आएगा यहां लगा दिया जायेगा। बोकारो रेलवे के एआरएम मीडिया से बात करने से कतराते है। चुकि अद्रा रेलवे डिवीज़न बंगाल में पड़ता है और इसके अंदर आने वाला बोकारो रेलवे झारखण्ड में है। डिवीज़न के वरीय अधिकारियो तक बोकारो के लोगो की शिकायत नहीं पहुँच पाती है।