Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

Bokaro का सबसे पुराना ‘रसियन क्लब’ आ रहा नये रूप में वापस, बीएसएल ने सोच बदली


Bokaro: शहर के सेक्टर चार स्तिथ रसियन क्लब (Soviet Club) की दीन-दशा अब सुधरने वाली है। यह रसियन क्लब, बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL), के निर्माण में रुसी लोगो से मिलें सहयोग का सबसे बड़ा गवाह है। कहने वाले कहते है कि बोकारो में भारत-रूस रिश्ते की नींव है यह 1965 में बना रसियन क्लब।

बीएसएल ने इस जर्जर और खस्ताहाल क्लब को वापस गुलजार करने की शुरुआत कर दी है। साफ़-सफाई शुरू कर दी गई है। रिपेयरिंग, रेनोवेशन और सौंदर्यीकरण आदि के काम को लेकर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। ख़राब रख रखाव के चलते रसियन क्लब का फिलहाल सिर्फ ढांचा ही बचा है। अंदर सब कुछ बदहाल है।

बीएसएल के दो सीजीएम के देख-रेख में हो रहा काम –
समय के साथ अब इस रसियन क्लब में वापस जान फूंकने की कोशिश बीएसएल के चीफ जनरल मैनेजर (CGM) भूपिंदर सिंह पोपली और लक्ष्मी दास के नेतृत्व में चल रही है। दोनों अधिकारी क्लब का विजिट कर एक-एक चीज़ो को बारीकी से देख-समझ रहे है। बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश का मार्गदर्शन भी मिल रहा है।

बताया जा रहा है कि डायरेक्टर इंचार्ज भी रसियन क्लब जल्द विजिट करने वाले हैं। अधिकारियो की सोच यह है की रसियन क्लब को ऐसा बनाया जाये की इस इलाके में उससे खूबसूरत, आलिशान और आधुनिक कोई दूसरा क्लब नहीं हो। बड़े शहरों के प्रीमियम क्लब में जो सुविधा होती है वह इसमें मौजूद हो।

BSL के E-7 और उसके ऊपर के अधिकारियों का होगा यह क्लब –
रसियन क्लब (Russian Club) को फिर से शुरू करने का मन बना चुके बीएसएल के टॉप मैनेजमेंट की सोच इस क्लब को लेकर कुछ अलग है। बताया जा रहा है कि बीएसएल प्रबंधन इस रसियन क्लब की मेम्बरशिप सिर्फ जीएम और उसके ऊपर के अधिकारियों को ही देगा। मतलब पहले की तरह जैसे यह क्लब सिर्फ रसियन लोगो के लिए ही था, वैसे ही बनने के बाद यह सिर्फ सेल-बीएसएल के E7 और उसके ऊपर लेवल के अधिकारियों का ही होगा। उनके आलावा शहर के कुछ विशिष्ट लोगो को ‘honorary membership’ देने की भी बात चल रही है।

टॉप मैनेजमेंट की सोच –

बताने वाले लोग बता रहे है कि रसियन क्लब के बगल के कुछ क्वार्टर्स को गेस्ट हाउस भी बनाने पर विचार चल रहा है। इसके साथ ही क्लब में बिलियर्ड, squash, स्विमिंग, टेबल टेनिस आदि अन्य खेल की सुविधा के साथ-साथ शानदार बैंक्वेट, पैंट्री और रेस्त्रो-बार आदि होगा। टॉप मैनेजमेंट की सोच है की जो भी सुविधाएं होंगी वह स्टार लेवल की होंगी। क्लब के बनने के बाद उसे देश के नामी होटल-क्लब इंडस्ट्री के हाथो में संचालन के लिए सौपें जाने पर भी विचार हो रहा है।

बता दें, बीएसएल अधिकारियों के मनोरंजन के लिए फिलहाल बोकारो क्लब है। पर शादी सामरोह और अन्य कार्यक्रम आदि वहां होते रहने से उसकी अपनी विशिष्टता (exclusivity) खो गई है। वरीय अधिकारियों को वहां कुछ अलग सा फील नहीं होता, और न ही उस लेवल की सुविधा मिलती है। इस बात को लेकर टॉप मैनेजमेंट में कई बार चर्चा हो चुकी है। सेल-बीएसएल अधिकारियों को अपने ही शहर में रिक्रिएशन सुविधाओं के क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है। जिसके बाद बीएसएल प्रबंधन का ध्यान रसियन क्लब की ओर गया है।

विस्थापितों को काम में मिलेगी प्राथमिकता-
विस्थापितों को लेकर बीएसएल का टॉप मैनेजमेंट अब अपनी सोच बदल रहा है। रसियन क्लब के संचालन में जितने भी लोगो की जरूरत होगी, उसमे से अधिकतर पोस्ट पर बीएसएल प्रबंधन विस्थापितों को तरजीह देगा। अगर किसी प्राइवेट कंपनी से क्लब संचालन को लेकर करार हुआ तो भी विस्थापितों को काम मिलेगा। यही नहीं शहर में बीएसएल के जितने भी नये प्रोजेक्ट आएंगे उसमे विस्थापितों को जोड़ा जायेगा।

ऐसे हुआ था रसियन क्लब का निर्माण – 

1965 में बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण में तत्कालीन सोवियत संघ का काफी सहयोग रहा था। इस दौरान रूस के विशेषज्ञ को यहां बुलाया गया था। इसके लिए बोकारो स्टील लिमिटेड और सोवियत रूस के बीच समझौता हुआ था। रूस से आए विशेषज्ञों और उनके स्वजनों के लिए बीएसएल की ओर से सेक्टर 4 में आवासीय भवन और सोवियत क्लब का निर्माण कराया गया था।

इस क्लब में विदेशी मेहमानों के मनोरंजन व खेलकूद के लिए पूरी व्यवस्था की गई थी। उस ज़माने में क्लब में एयरकंडीशंड व ओपन थियेटर बनाए गए थे। एयरकंडीशंड थियेटर में वहां की फिल्म दिखाई जाती थीं। जबकि ओपन थियेटर में विदेशी कलाकार नाटक का मंचन किया करते थे। इसके अलावा स्वीमिंग पूल व बास्केटबाल कोर्ट का भी निर्माण कराया गया था। यह क्लब उनके मनोरंजन का प्रमुख केंद्र था।

 


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