Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

BSL का ‘Tactical strike’ सफल, कांग्रेस के अवैध कब्ज़े से 72 घंटे में खाली हुआ जीएम का मकान, ऐसे हुआ सबकुछ..


Bokaro: शहर के सेक्टर 1 इलाके में कब्ज़ा हुए बी टाइप क्वार्टर को शनिवार सवेरे कांग्रेस कार्यकर्ता छोड़कर चले गए। जिसके बाद बीएसएल (BSL) प्रबंधन ने उक्त मकान को अपने कब्ज़े में ले लिया। वहां बीएसएल सिक्योरिटी के होमगार्ड जवान तैनात कर दिए गए है। पिछले एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बीएसएल (BSL) ने अवैध कब्ज़ा हुए मकान को 72 घंटे के अंदर शांतिपूर्ण ढंग से खाली करा लिया।

टैक्टिकल स्ट्राइक –
उक्त मकान को खाली कराना आसान नहीं था। इसके लिए बीएसएल (BSL) के कुछ जनरल मैनेजर और एजीएम कंपनी की साख बचाने स्वतः आगे आये। आवास खाली कराने के लिए इन अधिकारियो ने जो मशक्कत की और जैसे सफल हुए वह पूरा प्रकरण काफी रोचक है। कुछ अधिकारी इस पुरे अभियान को ‘टैक्टिकल स्ट्राइक’ बता रहे है।

घटना ने BSL को झंझोर कर रख दिया-
बताया जा रहा है कि शहर अतिक्रमण की चपेट में है। हॉट स्ट्रिप मिल के जीएम मनोज कुमार को सेक्टर 1-C में अलॉटेड बी टाइप क्वार्टर पर कांग्रेस के कब्ज़े ने पुरे बीएसएल प्रबंधन को झंझोर कर रख दिया। पहले से ही बीएसएल के करीब 1160 क्वार्टर पर अवैध कब्ज़ा है। इस घटना के बाद प्लांट में काम करने वाले अधिकारियों का एक पूरा खेमा उखड़ गया।

स्थिति विषम थी, डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश बाहर गए हुए थे, नए ईडी (पी एंड ए) ज्वाइन नहीं किये थे। उनके नीचे वाले पहले की तरह डोलड्रम की स्तिथि में थे। वह अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना नहीं चाहते थे। सीजीएम साहब ने तो मनोज कुमार को यह मामला खुद से सलटा लेने के लिए भी कह दिया था। हताश-निराश मनोज कुमार ने बोकारो स्टील ऑफिसर एसोसिएशन से मदद मांगी। जिसके बाद बीएसल का वायुमंडल बदला।

उखड़ गए थे अधिकारी, हो रही थी फजीहत-
बोसा अध्यक्ष ए के सिंह को यह समझते देर नहीं लगी कि मकान पर अवैध कब्ज़ा कोई नई बात नहीं है। पर इसे अब नहीं रोका गया तो पानी सर से ऊपर हो जायेगा। क्युकी इसमें कंपनी की बदनामी के साथ-साथ उच्च अधिकारियों की भी फजीहत हो रही है। इधर बीएसएल अधिकारियों में इस मामले को लेकर उबाल था। व्हाट्सएप्प ग्रुप में लोग जमकर फटकार लगा रहे थे।

BSOA ने बनाई रणनीति-
बताया जा रहा है कि स्थिति को भांपते हुए पीएंडए के प्रभार में कार्यरत ईडी एमएम अमिताभ श्रीवास्तव ने पूरा वाकया समझा और अधिकारियों को उचित आदेश भी दिया। फिर भी हेआरकी (hierarchy) के एक पायदान में उतनी हलचल नहीं मची। जिसके बाद ए के सिंह अपने एसोसिएशन के दूसरे साथियों से सहयोग माँगा। जिसके बाद मकान खाली कराने को लेकर रणनीति बनाई गई।

उस रणनीति के तहत ए के सिंह सबसे पहले डीसी बोकारो से मिलकर उनको पूरा वाकया बताया। शहर में सुर्खिया बटोर रहे इस मामले के बीच बड़े हिसाब से ‘socio-politico’ वातावरण को अपने अनुकूल बनाये रखा। घटना से गुस्साए युवा अधिकारियों को शांत रखने की कोशिश साथ में जारी रही। मीडिया में लूज़ टॉक करने से अधिकारी बचते रहे। आला अधिकारियों को कॉन्फिडेंस में रखते हुए इस टीम ने पहला दांव शुक्रवार को चला। रात के अँधेरे में राजेश शर्मा के नेतृत्व में  बीएसएल होमगार्ड जवानों के साथ पूरी टीम भेजी।

FIR करने को अग्रसर हुआ BSL-
बताया जा रहा है कि शर्मा होम गार्ड जवानों को बाहर आँगन में छोड़ अकेले क्वार्टर के अंदर गए। बड़े अदब से कार्यकर्ताओ से घिरे कांग्रेस जिला अध्यक्ष उमेश कुमार गुप्ता से मकान को खाली करने को कहा। इशारो-इशारो में आगे बीएसएल प्रबंधन द्वारा क़ानूनी कार्रवाई करने की बात भी उनके कान में डाल दी। पर मकान खाली नहीं हुआ। जिस समय यह वार्ता का दौर चल रहा था, उस समय बीएसएल के अन्य अधिकारी अगल-बगल के अफसरों के मकानों में बैठकर नजर रखे हुए थे।

ऐसे बढ़ता गया BSL का दबाव-
इसके बाद बीएसएल की टीम रात में उक्त घटना को लेकर सिटी थाना में FIR करने की ओर अग्रसर हुई। यह मैसेज कांग्रेस जिला अध्यक्ष तक पहुंचा। उनको बताया गया कि बीएसएल का टॉप मैनेजमेंट इस मामले को अपने दिल पे ले लिया है। शुक्रवार शाम तक डायरेक्टर इंचार्ज भी बोकारो पहुँच गए थे जिसके बाद पूरी टीम को मजबूती मिल गई। उमेश कुमार गुप्ता ने पुरे प्रकरण में बीएसएल के बढ़ते दबाव को देखते हुए और स्थिति की गंभीरता को समझते हुए मकान छोड़कर सवेरे निकल गए। जिसके बाद बीएसएल ने मकान को अपने कब्ज़े में ले लिया।

हालांकि कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने कहा है कि इस्पात प्रबन्धन से ज़िला कार्यालय के लिए अन्य क़वाटर जल्द आवंटित करने के आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है।

इस प्रकरण में कन्नी-काटने वाले अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई –
इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह थी कि, हाउस अल्लोत्मेंट विभाग के जीएम राजेश शर्मा जिस वक़्त मकान खाली कराने गए थे, उनके साथ उनके नीचे के कोई भी अधिकारी नहीं थे। बताया जा रहा है कि, इस प्रकरण में बहुत अधिकारी सामने आने से बचते रहे। FIR करने के नाम पर कन्नी काटते रहे। जल्द ही इसको लेकर कुछ ठोस कार्रवाई हो सकती है।

ए के सिंह, अध्यक्ष, बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन ने बोकारो के उपायुक्त को सहृदय धन्यवाद देते हुए कहा कि जिला प्रशासन के मदद से ही जनरल मैनेजर मनोज कुमार को न्याय मिल पाया।

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