Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

क्या वाकई खटाई में पड़ सकता है बोकारो स्टील प्लांट का विस्तार ?


बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के महत्त्वाकांक्षी ₹20,000 करोड़ के विस्तार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। परियोजना को लेकर गहरी चिंता जताई जा रही है कि अगर समय रहते इसका समाधान नहीं निकला, तो बोकारो के औद्योगिक भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह संकट हजारों रोजगार के लिए भी खतरा बन सकता है। सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल-मई तक बोकारो की विस्तार परियोजना का शिलान्यास होना था। लेकिन अब इसमें देरी हो रही है। सेल (SAIL) के वरिष्ठ अधिकारी इस पर दोबारा विचार-विमर्श कर रहे हैं। पूरी रिपोर्ट पढ़…. क्यों खटाई में पड़ सकता है बोकारो स्टील प्लांट का विस्तारीकरण?
बोकारो स्टील प्लांट (BSL) की क्षमता को मौजूदा 5.25 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 7.55 MTPA करने के लिए लगभग ₹20,000 करोड़ के निवेश की योजना प्रस्तावित है। इस विस्तार से न सिर्फ प्लांट की उत्पादन क्षमता में इजाफा होगा बल्कि 2,500 से ज्यादा प्रत्यक्ष और करीब 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे। केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने जनवरी में इस महत्वाकांक्षी परियोजना की औपचारिक घोषणा की थी। हालांकि, इतनी बड़ी परियोजना के बीच कई जटिलताएं इसे खटाई में डाल सकती हैं। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x 

जलापूर्ति की समस्या बनी बड़ी बाधा
विस्तार के लिए आवश्यक जलापूर्ति की योजना बोकारो में अब तक पूरी नहीं हो पाई है। जर्जर तेनु नहर के विकल्प के रूप में दामोदर नदी से वैकल्पिक जलापूर्ति परियोजना लगभग पांच वर्षों के प्रयासों के बावजूद अधूरी ही है। जल संकट के कारण उत्पादन में बाधा आने और विस्तार योजनाओं को समय पर पूरा करने में देरी हो सकती है। यह स्थिति इस बड़े निवेश को असुरक्षित बना रही है।

लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शन और अस्थिरता
बोकारो में उद्योगों को प्रभावित करने वाले लगातार विरोध प्रदर्शन, घेराव और आंदोलन इस विस्तार योजना को और अधिक जोखिम में डाल रहे हैं। इन प्रदर्शनों से न केवल कामकाज प्रभावित होता है, बल्कि निवेशकों और अधिकारियों के मनोबल पर भी असर पड़ता है। निवेश के लिए स्थिर और सुरक्षित माहौल बेहद जरूरी होता है, जो फिलहाल बोकारो में नहीं बन पा रहा। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x 

प्रशासनिक उदासीनता और जवाबदेही की कमी
स्थानीय प्रशासन का इस गंभीर स्थिति में उदासीन रहना परियोजना के लिए बड़ा खतरा बन गया है। जलापूर्ति समेत अन्य समस्याओं को लेकर उठाए गए सवालों पर प्रशासनिक कार्रवाई में कमी ने स्थिति को और विकट बना दिया है। इस उदासीनता से न सिर्फ योजना पर असर पड़ रहा है, बल्कि निवेशकों के विश्वास में भी कमी आ रही है।

प्रदेश के औद्योगिक विकास पर गंभीर प्रभाव
अगर बोकारो स्टील प्लांट (BSL) की यह विस्तार योजना विफल रही, तो यह पूरे झारखंड राज्य की औद्योगिक प्रगति पर बड़ा झटका होगा। बोकारो पहले से ही अन्य इस्पात केंद्रों जैसे दुर्गापुर, राउरकेला और भिलाई से पिछड़ चुका है। विस्तार विफलता से राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसर दोनों प्रभावित होंगे।

अंतिम मौका खोने का खतरा
यह योजना बोकारो को औद्योगिक मानचित्र पर फिर से स्थापित करने का अंतिम अवसर है। यदि समय रहते इस दिशा में सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो न सिर्फ बोकारो बल्कि पूरे प्रदेश के विकास पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। Follow the currentbokaro channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va98epRFSAsy7Jyo0o1x 

 

 

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