Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

बेकार समझे जाने वाले जलकुंभी को कैसे बनाए कमाई का जरिया ? BSL ने विस्थापितों को ट्रेनिंग देकर सिखाया


Bokaro: जलस्रोतों में फैली जलकुंभी को एक बेकार जलीय पौधा माना जाता रहा है. इसको लेकर अभी तक नकारात्मक बातें ही सामने आई हैं. मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी की जलकुंभी भी बड़े काम की चीज है. बेकार समझे जाने वाला जलकुंभी कमाई का अच्छा जरिया हो सकता है. जलकुंभी के तनों से सुंदर व आकर्षक हस्तशिल्प सामग्री बनाई जा सकती है.

यह रोजगार का जरिया भी बन सकती है. इसके लिए कवायद बोकारो शहर में शुरू हो चूका है. जलकुंभी को सुखाने के बाद उसके तने से टोकरी, डलिया, मोबाइल पॉकेट, पर्स आदि बन रहे है. कोई भी आम व्यक्ति जलकुंभी आधारित रोजगार शुरू कर सकता है. जलकुंभी से बनी सजावटी और जरूरत की सामग्री की डिमांड बढ़ रही है.

बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) के मानव संसाधन विकास केंद्र में बोकारो के आस-पास के परिक्षेत्रीय गांव (महुआर, चिताही तथा रितुडीह) के ग्रामीणों के लिए “जलकुंभी की खेती और उसके बाद हस्तशिल्प वस्तुओं के रूप में बुनाई कर उसका उपयोग” पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर दौरान अधिशासी निदेशक (सामग्री  प्रबंधन एवं कार्मिक एवं प्रशासन) वी के पाण्डेय, मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन विकास) मनीष जलोटा, मुख्य महाप्रबंधक(कार्मिक) हरि मोहन झा, महिला समिति की ओर वंदना पाण्डेय इत्यादि उपस्थित थे. कार्यक्रम में लगभग 80 स्थानीय पुरुष एवं महिला भाग ले रहे हैं और जलकुंभी की खेती और उसके बाद हस्तशिल्प वस्तुओं के रूप में बुनाई कर इसके उपयोग के विषय में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.

प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बीएसएल के सीएसआर के तहत बोकारो स्टील सिटी को एक हस्तशिल्प क्लस्टर के रूप में विकसित करना है. यह प्रयास न केवल आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करेगा, बल्कि बोकारो को शिल्प कला के क्षेत्र में झारखंड तथा भारत के मानचित्र पर एक केंद्र के रूप में पहचान भी दिलाएगा.

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अधिकारियों ने जलकुंभी की खेती और इससे जुड़ी संभावनाओं पर चर्चा की. प्रतिभागियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम से लाभान्वित होने के लिए भी प्रेरित किया गया.

बीएसएल के सीएसआर विभाग का जलकुंभी की खेती से हस्तशिल्प और अन्य उपयोगी वस्तुओं को बनाने की दिशा में प्रशिक्षण देने का प्रयास इस दिशा में पहला कदम है. बोकारो तथा इसके आस-पास के गांवों में जलकुंभी की पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुए बोकारो इसके लिए उपयुक्त माना जा रहा है. प्रशिक्षण कार्यक्रम बीएसएल के सीएसआर विभाग तथा झारखंड में बहु-कौशल के क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संगठन ईएसएएफ-एलआईएमएस के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है.


Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!