Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

बोकारो स्टील के बंद पड़े स्कूल में खुलेगा झारखण्ड का सबसे बड़ा हस्तकला प्रशिक्षण केंद्र, MOU पर हुआ हस्ताक्षर


Bokaro: बोकारो टाउनशिप में राज्य का सबसे बड़ा हेंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर (Handicraft Training Centre) खुलने जा रहा है। सेल का बोकारो इस्पात संयंत्र (SAIL-BSL), बंद पड़े अपने एक स्कूल में यह ट्रेनिंग सेंटर खोल रहा है। इसको लेकर आज शुक्रवार को प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश के उपस्थिति में एमओयू (MOU) हुआ।

इस हेंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर की खास बात यह होगी कि इसमें न सिर्फ महिलाओ और युवाओ को विभिन्न हस्तशिल्प वस्तुओं बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, बल्कि उनके द्वारा बनाये गए हस्तकला को भारत के विभिन्न शहरों और 13 देशो में एक्सपोर्ट किया जायेगा। प्रशिक्षण केंद्र में एक शोरूम भी रहेगा जहां से बोकारो के लोग हस्तकला का सामान ले सकेंगे। प्रशिक्षण केंद्र 15 दिसंबर से चालू हो जाएगा।

बीएसएल के अनुसार बोकारो के परिक्षेत्रीय गांवों में महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से बोकारो स्टील प्लांट (BSL) द्वारा हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया जा रहा है। बीएसएल ने टाउनशिप के सेक्टर 2डी स्थित बोकारो इस्पात विद्यालय में प्रशिक्षण केंद्र खोला है। यह स्कूल भवन पिछले तीन वर्षों से बंद था। जिसे अब एक शोरूम के प्रावधान के साथ हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र में परिवर्तित किया जा रहा है।

बीएसएल के चीफ ऑफ़ कम्युनिकेशन (COC), मणिकांत धान ने बताया कि जल कुंभी, बांस इत्यादि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों के इस्तेमाल से हैन्डीक्राफ्ट में प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु बोकारो स्टील प्लांट (BSL) तथा ईएसएएफ फाउन्डेशन (LIMS-ESAF Foundation), दुमका के बीच समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किया गया है। समझौता ज्ञापन में बीएसएल की ओर से महाप्रबंधक(सीएसआर) सी आर के सुधांशु तथा ईएसएएफ फाउन्डेशन की ओर से एसोसिएट डाइरेक्टर डॉ अजिथसेन सेल्वराज ने हस्ताक्षर किये।

बताया जा रहा है कि 200 प्रशिक्षुओं का पहला बैच, जो सभी स्थानीय गांवों से होंगे, मार्च, 2023 तक अपने प्रशिक्षण का पहला चरण पूरा कर लेंगे। 2023-24 में कुल 600 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जाना है। बोकारो निवास में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान बीएसएल के प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश सहित कार्यपालक निदेशक व अन्य वरिष्ठ अधिकारी, मुखिया, जनप्रतिनिधि व ईएसएएफ फाउंडेशन के पदाधिकारी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि ईएसएएफ फाउंडेशन, दुमका को हस्तशिल्प के क्षेत्र में उत्पादन, प्रशिक्षण और विपणन का व्यापक अनुभव है। हस्तशिल्प प्रशिक्षण केंद्र में इसी माह के 15 दिसंबर से संस्था के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा, जिसकी तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है।

एमओयू पर हस्ताक्षर के अवसर पर प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश ने हस्तकला की वस्तुओं की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बताते हुए विश्वास जताया कि इससे न केवल ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए स्वरोजगार का मार्ग प्रशस्त होगा बल्कि बोकारो को हस्तशिल्प विकास केंद्र बनाना। शहर को भी मिलेगी नई पहचान उन्होंने जनप्रतिनिधियों से भी अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्र के लोगों को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें।

जलकुंभी से बने हेंडीक्राफ्ट की देश-विदेश में मांग बढ़ी-

बेकार माने जाने वाले जलस्रोतों में फैला जलकुंभी अब उपयोगी और आय का अच्छा जरिया बन गया है। जलकुंभी के तनों से सुंदर और आकर्षक हस्तकला की वस्तुएं बनाई जाती हैं।

यह रोजगार का जरिया है। जलकुंभी को सुखाने के बाद इसके तने से टोकरियां, टोकरियां, मोबाइल पॉकेट, पर्स आदि बनाए जाते हैं। जलकुंभी आधारित रोजगार कोई भी आम व्यक्ति शुरू कर सकता है। जलकुंभी से बनी सजावटी और आवश्यक वस्तुओं की मांग बढ़ रही है।

जून माह में बीएसएल के मानव संसाधन विकास केंद्र ने बोकारो टाउनशिप के आसपास के गांव (महुआर, चिताही व रितुडीह) के ग्रामीणों को “जलकुंभी की खेती और फिर उससे हस्तकला के सामान बनाने” का प्रशिक्षण दिया। ग्रामीणों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को काफी उत्साहजनक बताया।


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