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झारखण्ड के कद्दावर नेता पूर्व बोकारो विधायक समरेश सिंह का निधन, शोक की लहर


Bokaro: बोकारो के पूर्व विधायक और झारखण्ड के कद्दावर नेता समरेश सिंह (Samresh Singh) ‘दादा’ का गुरुवार को सुबह लगभग 6.30 बजे सिटी सेंटर स्थित आवास में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार थे. इस माह 12 नवंबर को साँस लेने में तकलीफ को लेकर वह रांची मेडिका में भर्ती हुए थे. बीते मंगलवार को डॉक्टरों ने उनकी हालत में सुधार होते हुए देख डिस्चार्ज कर दिया था। जिसके बाद वह घर पर ही थे.

उनका अंतिम संस्कार चंदनकियारी प्रखंड में समरेश के पैतृक गांव देबुलटांड़ में शुक्रवार को होगा. उनके बड़े पुत्र राणा प्रताप भी अमेरिका से आ चुके है. खबर लिखे जाने तक लोगों का उनके आवास पर लोगों का पहुंचना जारी था. पूर्व मंत्री समरेश सिंह की पत्नी भारती सिंह का देहांत Aug 28, 2017 को हो चूका है. Video:

बीजेपी के संस्थापक सदस्य हैं समरेश सिंहः
बोकारो के पूर्व विधायक समरेश सिंह भाजपा के संस्थापक सदस्य हैं . लोग इन्हें दादा कहते हैं . मुंबई में 1980 में आयोजित भाजपा के प्रथम अधिवेशन में कमल निशान का चिह्न रखने का सुझाव इन्हीं का था , जिसे केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी . दरअसल , समरेश को 1977 के चुनाव में कमल निशान पर ही जीत मिली थी . बाद में समरेश भाजपा से 1985 व 1990 में बोकारो से विधायक निर्वाचित हुए . इससे पहले 1985 में समरेश सिंह ने में इंदर सिंह नामधारी के साथ मिलकर भाजपा में विद्रोह कर 13 विधायकों के साथ संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था . लेकिन कुछ ही दिनों के बाद संपूर्ण क्रांति दल का विलय भाजपा में कर दिया गया .

1995 में हारे थे चुनावः
वर्ष 1995 में समरेश सिंह ने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था . जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था . इसके बाद वर्ष 2000 का चुनाव उन्होंने झारखंड वनांचल कांग्रेस के टिकट पर लड़ा . फिर 2009 में झाविमो के टिकट पर विधायक बने . बाद में भाजपा में शामिल हो गये , लेकिन 2014 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय लड़े थे . जिसमें उन्हें हार मिली थी .

समरेश सिंह का सफर-
1980 : भाजपा से जुड़े
1985 : बोकारो से विधायक
1990 : बोकारो से विधायक
2000 : झारखंड वनांचल कांग्रेस पार्टी से बोकारो के विधायक
2009 : झाविमो के टिकट पर बोकारो से विधायक
2014 : निर्दलीय लड़े व हारे
2019 : समरेश सिंह ने अपनी छोटी बहु स्वेता सिंह (संग्राम सिंह की पत्नी) को राजनीती में उतारा। वह कांग्रेस से चुनाव लड़ी पर हार का सामना करना पड़ा।


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