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डीपीएस बोकारो के इन तीन छात्रों की सोच अल्बर्ट आइंस्टीन से कम नहीं, आवश्यकता देखीं तो कर दिया आविष्कार


Bokaro: दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) बोकारो के तीन बच्चों ने अपने अर्जित ज्ञान, रचनात्मकता और जुनून से कुछ ऐसा कर दिखाया है की लोग तारीफ करते नहीं थक रहे है। इन बच्चों ने आम ज़िन्दगी में लोगो को होने वाली परेशानी को न सिर्फ समझा, बल्कि उसको दूर करने के लिए अपने उम्र से बढ़कर सोचा और टेक्नॉलजी का सहारा लेकर उसको खत्म करने के लिए कुछ नया ईजाद कर डाला।

कक्षा 10 वी के छात्र अभिनीत शरण के बनाये ‘एंटी शेकिंग स्पून’, कक्षा 9 की छात्रा अंजलि शर्मा द्वारा ईजाद किया गया “गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमैटिक कॉलिंग वॉच” और कक्षा 10 के छात्र उत्कर्ष राज का बनाया हुआ “स्मार्ट बिन” इन दिनों काफी सुर्खिया बटोर रहा है। यह तीनो स्कूल के हीरो है। जिन्होने अपनी शिक्षा का इस्तमाल लोगो का दुःख दूर करने के लिए किया है।

इस साल की शुरुआत में जिला स्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता में इन छात्रों के प्रोजेक्ट्स का चयन किया गया है। सरकार ने एक उचित मॉडल तैयार करने के लिए इनमे से प्रत्येक को 10,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की है। इन छात्रों ने एक प्रोटोटाइप तैयार किया है जिसे वे राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रतियोगिता में प्रदर्शित करेंगे।

बीएसएल कर्मी नवनीत कुमार के बेटे अभिनीत को अपने घर से एंटी-शेकिंग स्पून बनाने का विचार आया। उनके दादा अखिलेश शरण (78) पार्किंसंस रोग के चलते हाथ कांपने की समस्या से जूझ रहे हैं। खाना खाते समय अपने दादाजी को होने वाली कठिनाई को देखते हुए इस तरह का एक विशेष चम्मच बनाने का फैसला किया।

उन्होंने कहा कि “मुझे बचपन से ही रोबोटिक्स में दिलचस्पी थी और मैं भविष्य में एक सफल इंजीनियर बनना चाहता हूं। उन्होंने अपने विचार को शिक्षकों को बताया और मार्गदर्शन मांगा। इस पर काम करते हुए अभिनीत ने एक विशेष और नया उपकरण एंटी-शेकिंग स्पून का ईजाद किया। इस चम्मच की मदद से खाने के दौरान बुजुर्गों के हाथ कांपने की समस्या को रोका जा सकता है और खाना सीधे उनके मुंह में पहुंच सकता है। उन्होंने इसे चम्मच, मोटर, सेंसर, माइक्रो-कंट्रोलर, बॉल बेयरिंग आदि जैसे पुर्जों की मदद से बनाया।

अभिनीत ने यह भी कहा कि, “एंटी-शेकिंग स्पून सिस्टम की प्रेरणा हेडफ़ोन की एंटी-फ़्रीक्वेंसी तकनीक से मिली। जिस प्रकार कान में लगे हैडफ़ोन से निकलने वाली ध्वनि के कारण बाहर की ध्वनि समान आवृत्ति में सुनाई नहीं देती, उसी प्रकार कंपन-रोधी चम्मच विपरीत बल के काँपने के कारण हाथ को हिलने नहीं देता है”।

इसी प्रकार अंजलि अपने मां के साथ हुए एक हादसे के बाद प्रेरित हुई और महिलाओं के लिए एक अनोखा सुरक्षा उपकरण तैयार कर दिया। अंजलि ने बताया कि एक बार उसकी मां राखी गौरव बस में कहीं जा रही थी। इसी बीच कुछ बदमाशों ने उसके साथ अनहोनी करने की कोशिश की। उस समय कोई सहयात्री उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। किसी तरह पुलिस को सूचना दी गई, ताकि मदद मिल सके। इस घटना ने उन्हें यह सेफ्टी कॉलिंग वॉच बनाने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने एक खास घड़ी बनाई है, जिसका नाम उन्होंने गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमैटिक कॉलिंग वॉच रखा है। इस घड़ी की मदद से मुसीबत में फंसी महिलाएं या लड़कियां सिर्फ एक बटन दबाकर अपनी सुरक्षा कर सकेंगी। घड़ी का बटन दबाते ही फोन सीधे उसके परिवार और पुलिस के पास चला जाएगा। फोन के साथ खतरे में होने का एसएमएस भी जाएगा।

घड़ी में लगे जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की मदद से रिश्तेदार या पुलिस मिनटों में सीधे उस तक पहुंच सकेगी। यह घड़ी एमसीयू (माइक्रोकंट्रोलर यूनिट) पर आधारित है और इसके लिए सेंसर, दो पुश बटन, एलसीडी स्क्रीन, एलईडी ग्लो, वाई-फाई सक्षम जीएसएम (मोबाइल संचार के लिए ग्लोबल सिस्टम) मॉड्यूल की आवश्यकता होती है।

उत्कर्ष सेक्टर-6ए निवासी राकेश कुमार सिन्हा का पुत्र है, जो एक फार्मा कंपनी में काम करता है। उन्होंने कहा कि अपने घर के आसपास लगे कूड़ेदानों से कूड़ा-करकट और उससे निकलने वाली गंदगी और बदबू को देखकर उन्होंने इस समस्या का समाधान निकालने की सोची। तकनीक की मदद से इसे हल करने का विचार उनके मन में आया, जिसके बारे में उन्होंने अपने स्कूल के शिक्षक से बात की, जिन्होंने उनके विचार की सराहना की और अपना मार्गदर्शन प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि 2500 रुपये खर्च कर सेंसर, माइक्रोचिप, इंटरनेट कनेक्टिविटी का इस्तेमाल कर एक मैकेनिज्म तैयार किया और उसे कूड़ेदान में डाल दिया। कचरे को कूड़ेदान में डालने के बाद पहले सतह में लगा सेंसर उसे नीचे चार अलग-अलग कक्षों में अलग करता है। इसके लिए स्मार्ट बिन में कुल चार सेंसर लगे हैं। सेंसर द्वारा सूचना भेजे जाने के बाद डस्टबिन का ढक्कन लगे मोटर की मदद से अपने आप खुलता और बंद होता है। डस्टबिन भर जाने पर सेंसर और चिप की मदद से डस्टबिन लगाने वाले मकान मालिक या नगरपालिका प्राधिकरण को आईबीएम क्लाउड की जानकारी मिल जाएगी। उत्कर्ष की दिली इच्छा भविष्य में आईएएस अधिकारी बनने की है।

बच्चों की प्रतिभा को तराशता है डीपीएस बोकारो


“डीपीएस बोकारो बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जाना जाता है। हम बच्चों के भीतर छिपी प्रतिभा और उनके इनोवेटिव आइडियाज को निखारने व तराशने का भी काम करते रहे हैं। इसी कड़ी में हमारे विद्यालय से छात्रा अंजलि शर्मा, छात्र अभिनीत शरण और उत्कर्ष राज ने भारत सरकार की इंस्पायर अवार्ड मानक योजना में चयनित होकर विद्यालय का नाम रोशन किया है। यहां के साइंस टीचर्स के मार्गदर्शन में अंजलि ने लड़कियों की सुरक्षा के लिए गर्ल सेफ्टी ऑटोमेटिक कॉलिंग वॉच, अभिनीत ने बुजुर्गों के लिए एंटी शेकिंग स्पून और उत्कर्ष ने स्मार्ट बिन बनाया है।”
– ए. एस. गंगवार, प्राचार्य, डीपीएस बोकारो


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