Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

अचानक बिगड़ा दो साल का मधुर संबंध, भाजपा विधायक और BSL के डायरेक्टर इंचार्ज आमने-सामने, क्या इसलिए हुआ अलगाव ?


Bokaro: साफ लफ्जो में कहा जाये तो बोकारो विधायक और बोकारो स्टील प्लांट (BSL) के डायरेक्टर इंचार्ज के बीच ठन गई है। बोकारो के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी बात को लेकर विधायक और बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज आमने-सामने हो गए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों अपनी बात पर अड़ गए है और पीछे हटने को तैयार नहीं। दोनों अपने आपको, अपनी जगह सही मान रहे हैं । जिला प्रशासन बीच में मामले को सलटाने में लगा हुआ है। Video नीचे अंत में : 

बोकारो विधायक द्वारा बीएसएल प्लांट के मेन गेट पर धरने पर बैठने की शहर भर में चर्चा है। जितनी मुँह उतनी बातें हो रही है। लोग अपने-अपने एंगल से पूरे प्रकरण को देख रहे हैं । पर अधिकतर लोगो के मन में एक ही सवाल उठ रहा है – दो साल से विधायक और डायरेक्टर इंचार्ज के बीच चल रहे मधुर सम्बन्ध में अचानक ऐसी वैमनस्यता क्यों आ गई ?

प्लांट भ्रमण के लिए विधायक सहित तीन लोगो को बीएसएल प्रबंधन द्वारा पास नहीं दिया जाना, जैसी छोटी सी घटना पर इतना बड़ा बवाल, लोगों को पच नहीं रहा है। लोग इसके पीछे की गुथी या राज को जानना चाह रहे हैं । इस मामले में यह भी साबित हो गया कि, डायरेक्टर इंचार्ज अमरेंदु प्रकाश भी अड़े रहे पीछे नहीं हटे। उन्होंने सिर्फ विधायक को प्लांट अकेले जाने के लिए पास देने की बात कही। लाख प्रेशर के बावजूद, डायरेक्टर इंचार्ज अपनी बात से टस से मस नहीं हुए। विधायक के धरने में बैठने के बावजूद डायरेक्टर इंचार्ज ने उनके सहयोगियों को प्लांट भ्रमण ले लिए पास नहीं दिया। विपरीत परिस्थितियों मेंं भी जिस तरह डायरेक्टर इंचार्ज अड़े, इसकी चर्चा प्लांट भर में हो रही है।

विधायक ऐसे पहले नेता या प्रतिनिधि हैं, जिन्हे उनके सहयोगियों के साथ बीएसएल प्लांट भ्रमण के लिए प्रबन्धन द्वारा पास नहीं दिया गया। इसके पहले भी कई बार नेता और सामाजिक कार्यकर्त्ता प्लांट भ्रमण के लिए जाते रहे हैं । पर विधायक को ही क्यों इस तरह से रोका गया ? इसका दोनों पक्षों के पास अपना-अपना तर्क है। आईये जाने दोनों – विधायक और बीएसएल प्रबंधन – की मन की बात।

विधायक को दल-बल के साथ प्लांट के अंदर न जाने देने के पीछे की प्रबंधन की सोच –
पिछले कुछ दिनों से बीएसएल प्रबंधन विधायक का गुस्सा झेल रहा है। बीएसएल के खिलाफ विधायक अचानक आक्रोशित हो गए है। पिछले हफ्ते विधायक ने बीएसएल द्वारा सेक्टर 11 -6 के बीच कचरा डंप स्थल का निरिक्षण किया। उसके बाद खुले में कचरे डंप करने को लेकर बीएसएल प्रबंधन के खिलाफ NGT और इस्पात मंत्रालय में शिकायत कर दिए। उसके दो दिन बाद बीजीएच का दौरा किये और उसके खामियों को एक्सपोज़ कर दिए। इसी क्रम में वह आज प्लांट के अंदर जाना चाह रहे थे।

प्लांट एक प्रतिबंधित और जोखिम भरा क्षेत्र है जिसमें प्रवेश के अपने कायदे -क़ानून है जो विजिटर और प्लांट, दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। विधायक सिर्फ प्लांट विजिट करना चाहते, तो उन्हें पास दिया जा रहा था। उनका स्वागत किया जा रहा था। पर वह दल-बल के साथ जाना चाह रहे थे। कुर्ता -पायजामा और ढीले -ढाले कपड़े पहन कर प्लांट के भारी मशीनों के बीच जाना वैसे भी प्रतिबंधित है, अत : स्वयं ED(P&A) ने उन्हें अपने साथ प्लांट विज़िट कराने का प्रस्ताव दिया जिसे विधायक ने नहीं स्वीकार किया। बी एस एल के सूत्रों के अनुसार अभी हाल ही में विधायक ने इसी प्रकार बीजीएच के संवेदनशील वार्ड में अपने दल बल के साथ प्रवेश किया जो गंभीर मरीज़ों के हित में नहीं है।

बीएसएल प्लांट के भ्रमण करने के पीछे विधायक ने उपायुक्त को बताई अपनी मनसा –
एसडीओ के अनुरोध पर धरना समाप्त करने के बाद बोकारो विधायक सीधे उपायुक्त से मीटिंग करने पहुंचे। उन्होंने उपायुक्त को प्लांट भ्रमण में जाने की बात और उसपर डायरेक्टर इंचार्ज की इस तरह की प्रतिक्रिया को बड़े ही विस्तार से बताया। साथ ही विधायक ने एक पत्र उपायुक्त को दिया, जिसमे उन्होंने बताया कि उन्हें कई तरह की शिकायतें मिल रही थी जिसको वह जांचना चाह रहे थे। उस पत्र में पांच मुद्दे लिखे थे जिसमे प्लांट से जुड़ा भ्रष्टाचार भी था।

विधायक ने कहा कि बीएसएल प्रबंधन को डर था कि कहीं उसकी लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर न हो जाये, इसलिए निदेशक प्रभारी ने उन्हें उनके सहयोगी के साथ जाने से रोक दिया। वह जानते थे कि अगर विधायक अकेले जायेंगे तो प्लांट में उतना कुछ नहीं कर पाएंगे। प्रबंधन के इस रवैये से मैं रुकने वाला नहीं हूँ। केंद्रीय इस्पात मंत्री से मिलकर बीएसएल प्रबंधन का असली चेहरा दिखलाऊंगा। डायरेक्टर इंचार्ज द्वारा मुझसे किये गए अभद्र बर्ताव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला विधानसभा में उठाऊंगा।

उपायुक्त को दिए पत्र में विधायक ने यह लिखा है-
प्लांट प्रबंधन को मेरे साथ मेरे इस्पात के प्रतिनिधि के.के बोड़ाल और 03 वरिष्ठ लोगों के प्लांट के अंदर जाने संबंधी पत्र भेजा जा चुका था। परंतु प्रबंधन के द्वारा पास नहीं दिया गया। प्लांट भ्रमण का मेरा उद्देश्य मुझे मिल रही शिकायतों की जाँच करना था। जिसमें कर्मचारियों की सुरक्षा सबसे अहम है।

विधायक मुख्यतः निम्न बिन्दुओं पर जानकारी एकत्रित करने प्लांट जाना चाहते थे –
1. पिछले 02 वर्षों में लगभग 02 दर्जन से भी अधिक बड़ी दुर्घटनाएँ हुई हैं। जिसमे जान और माल दोनों की क्षति हुई है।
2. सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी होने की जानकारी मुझे मिली है।
3. मुझे यह जानकारी मिली है की नए निर्मित coil को पुराने या क्षतिग्रस्त coil से ढक कर उस पूरे coil को क्षतिग्रस्त बता उसे आउने-पाउने दाम में बेचकर सरकारी खजाने को चपत लगाई जा रही है।
4. प्लांट के अंदर बहुत से स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त और जानलेवा हैं, मैं उसको देखना चाहता था।
5. ब्लास्ट फर्नेस और कोक ओवेन में लगातार हो रही दुर्घटनाओं के विषय में वहाँ कार्यरत मजदूरों से मिलकर जानकारी प्राप्त करना चाहता था।

विधायक ने यह भी लिखा-
एक जनप्रतिनिधि के नाते मेरा कर्तव्य और अधिकार है कि मेरे क्षेत्र में हो रही दुर्घटना तथा अनियमितता कि जाँच करूँ। मैं प्लांट में कार्यरत मजदूरों को निष्ठुर और अकर्मण्य प्रबंधन के सामने निरीह नहीं छोड़ सकता। मुझे प्रबंधन द्वारा रोका जाना मुझे मेरे विधायी कार्यों एवं दायित्वों से वंचित करना है।

इन सब आरोपों के बीच कई बीएसएल कर्मी इस बात से खासा नाराज़ दिखे की विधायक ने प्रदर्शन के दौरान डायरेक्टर इंचार्ज पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर की। डीसी, बोकारो, कुलदीप चौधरी ने विधायक से मिली शिकायत पर जाँच करने की बात कही है।


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