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तिलका मांझी लोगो को अंग्रेज़ो से अपना हक़ छीनना सिखाते थें : शम्भु कुमार


Bokaro: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले सेनानी बाबा तिलका मांझी की जयंती के अवसर पर आज सेल एससी – एसटी इम्प्लाईज फेडरेशन, बोकारो यूनिट के अध्यक्ष शम्भु कुमार के नेतृत्व में सेक्टर-4 स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर उनकी याद में कार्यक्रम आयोजित किया। बाबा तिलका मांझी के माल्यार्पण के उपरांत फेडरेशन के उपस्थित पदाधिकारियों ने उनके जीवन के संघर्ष पर प्रकाश डाला।

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शम्भु कुमार ने कहा कि बाबा तिलका मांझीभारतीय स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई के पहले शहीद थें। इनका जन्म 11 फरवरी 1750 को बिहार के सुल्तानगंज में तिलकपुर नमक गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम जबरा पहाड़िया था। तिलका मांझी नाम उन्हे ब्रिटिश सरकार ने दिया था।

उन्होने हमेशा ही अंग्रेज़ो को अपने जंगलो की मूल्यवान संपत्ति को लूटते एवं उनके क्षेत्र में आदिवासियो को परेशान करते देखा था। तिलका ने धीरे धीरे अंग्रेज़ो के खिलाफ जंग छेंड़ दिया। 1770 से ही वे अंग्रेज़ों से लोहा लेने लगे। वह लोगों को अंग्रेज़ों के आगे सिर न झुकाने के लिये प्रेरित करते और जात-पात की बेड़ियों से निकल कर अंग्रेज़ों से अपना हक़ छीनने की बात करते थें। तिलका मांझी ने भागलपुर में रखा ख़ज़ाना लूट लिया।

टैक्स और सूखे की मार झेल रहे ग़रीबों और आदिवासियों में मांझी ने लूटे हुये पैसे बांट दिए । तिलका लोगों में रॉबिन हूड जैसे ही मशहूर थें उन्होंने अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ लंबी लड़ाई छेड़ी और संथालों के प्रसिद्ध ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व किया। अंग्रेज़ी सेना पर छापामार हमला बोला तो उन्हें घेर लिया गया और वो पकड़े गए। सन 1785 में पेड़ पर रस्से से बांधकर तिलका मांझी को फांसी दे दी गई।

इस अवसर पर मुख्य रूप से करतार सामंत, महेंद्र राम, राकेश कुमार, मंतोस पासवान, सच्चु रजवार, संजय अंबेडकर, दिलीप कुमार, विशेश्वर रजवार, आनंद रजक, सिद्दार्थ सुमन, सनातान रजक, रविन्द्रनाथ सिंह, जितेन्द्र दास, संजय कुमार, प्रभाकर कुमार आदि मौजूद रहे।


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