>जैसे हमें बाहर निकला गया है, वैसे 19 विस्थापित गांव में कोई भी कांग्रेस नेता आएगा तो हम भी निकालेंगे (Video).
> हम 19 गांव के विस्थापित MP – MLA चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
>इस बार भी हमारे उत्तरी विस्थापित क्षेत्र के 19 गांव पंचायत में शामिल नहीं हो सके.
>हमलोग बेहद तकलीफ में है, उदास है और आक्रोशित है.
Bokaro: झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का बुधवार का कार्यक्रम विवादों से भरा रहा. मंत्री पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने जिले के सेक्टर-4 स्थित कांग्रेस कार्यालय पहुंचे थे. वहां उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं.
यह सिलसिला चल ही रहा था कि बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के विस्थापित ग्रामीण भी अपनी समस्या लेकर मंत्री के पास पहुंचे. ग्रामीणों ने मंत्री से पूछा उत्तरी विस्थापित क्षेत्र के 19 गांवों के लिए पंचायत क्यों नहीं बनाया गया? क्या कारण है कि सरकार ने इस संबंध में कार्रवाई नहीं की?
आलम से बातचीत का यह सिलसिला चल ही रहा था कि विस्थापितों में से एक व्यक्ति वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहा था. जिसको देख मंत्री ने उसको रिकॉर्डिंग बंद करने को कहा। बस मंत्री का इतना कहना था कि वहां खड़े कांग्रेस कार्यकर्ता उसे रूम से बहार निकाल दिए. Video:
जिसे देख विस्थापितों ने विरोध किया. इस पर दोनों पक्षों के बीच बहस छिड़ गई। हंगामा ऐसा हुआ कि ग्रामीणों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की हो गई. स्थिति को नियंत्रित करने पुलिस को आना पड़ा। इस दौरान विस्थापितों ने विरोध में नारेबाजी की. पुलिस ने आखिरकार स्थिति को शांत कराया। घटना की जानकारी होने पर चास के एसडीओ दिलीप प्रताप सिंह शेखावत भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने भी विस्थापितों को समझाया।
मंत्री ने अपनी ओर से मामले को स्पष्ट किया। आलम ने कहा, ”तकनीकी कारणों से उत्तरी विस्थापित क्षेत्र के गांव को काफी कोशिशों के बावजूद पंचायत में शामिल नहीं किया जा सका. लगातार रिमाइंडर नहीं कराने के कारण ही ऐसा स्थिति उत्पन्न हो गई. सरकार बेहतर समाधान पर काम कर रही है. सरकार ग्रामीणों की समस्याओं का जल्द समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है”. Video:
आक्रोशित विस्थापितों ने कहा कि सरकार के इस रवैये के खिलाफ अब वह सांसद और विषयसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे. एहि नही, जिस तरह कांग्रेस के लोगो ने मंत्री के सामने बर्ताव किया है, वैसे ही 19 विस्थापित गावों में कोई भी कांग्रेस नेता आएगा तो उसे हमलोग बाहर निकालेंगे.
उल्लेखनीय है कि 19 विस्थापित गांव बीएसएल (BSL) के अधिसूचित क्षेत्र में आते हैं. इस कारण ये गांव न तो पंचायत में शामिल हैं और न ही नगरपालिका क्षेत्र में. वे विकास से वंचित हैं. इन 19 गांवों के हजारों ग्रामीण पिछले कई वर्षों से राज्य सरकार से अपने गांवों को पंचायत में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. ताकि वे अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकें और गांवों में विकास हो.