Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

SAIL-BSL प्रबंधन को चेतावनी देने पहुंचे सैकड़ो कर्मचारी, वेज रिविज़न-भ्रष्टाचार-बीजीएच पर है बौखलाये हुए


Bokaro: बोकारो इस्पात संयंत्र (BSL) में कार्यरत नियमित एवं ठेका मजदूरों ने बोकारो इस्पात नगर के जनवृत 4 स्थित गांधी चौंक पर विशाल चेतावनी प्रदर्शन किया। झंडा, बैनर लिए नारा लगाते हुए सैकड़ो की तादाद में कर्मचारी और ठेका मजदूरों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों के अंदर बीएसएल प्रबंधन के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ था। मजदुर नेता राजेंद्र सिंह पुरे फुल फॉर्म में दिखे।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने कहा कि प्रबंधन की शोषण एवं भेदभाव पूर्ण व्यवहार से मजदूर दिन-ब-दिन आक्रोशित होते जा रहे हैं। वेज रिवीजन एमओयू पर हस्ताक्षर हुए लगभग 9 महीने बीत चुके हैं मगर प्रबंधन की लापरवाही से आज तक वेज रिवीजन को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। Video news:

सिंह ने कहा कि मजदूरों के वेज रिवीजन एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद अधिकारियों का वेज रिवीजन हुआ. पर असफरों को लाखों रुपए की पीआरपी एवं एरियर का भुगतान तुरंत कर दिया गया। क्या प्रबंधन का यह रवैया भेदभाव पूर्ण एवं मजदूर विरोधी नहीं है? मई माह की पिछली कोर कमेटी की बैठक के बाद जब हमने व्यक्तिगत रूप से सेल चेयरमैन मैडम से मिल कर कड़ा विरोध जताया तो उन्होंने वादा किया था कि जून महीने तक वेज रिवीजन को अंतिम रूप दे दिया जाएगा मगर उनका यह वादा सिर्फ कोरा वादा ही साबित हुआ।

“चेयरमैन मैडम हम मजदूर हैं अपने परिश्रम से अगर उत्पादन का रिकॉर्ड बना सकते हैं तो 30 जून 2021 की ऐतिहासिक हड़ताल को दोहरा भी सकते हैं। आप के निलंबन एवं स्थानांतरण से मजदूर डरने वाला नहीं है।आपकी प्रमोशन पॉलिसी भी हतोत्साहित एवं आश्चर्यचकित करने वाली है। प्लांट अटेंडेंट,एमआईबी एवं कुछ अन्य कर्मचारियों को ट्रेनिंग पीरियड का लाभ प्रमोशन में ना देना सरासर दोगली नीति है,” सिंह ने कहा।

सभी मजदूरों के समान प्रमोशन दिया जाए और प्रबंधन मजदूरों को उकसाने से बाज आए
उत्पादन लक्ष्य बढ़ाकर इंसेंटिव रीवार्ड खत्म करने की साजिश की जा रही है। आजकल प्लांट में यूएन नंबर के केवाईसी की प्रक्रिया चल रही है। यहां की भी इनकी नीति सवालों के घेरे में है, इनकी इस नीति से मृत कर्मचारी आश्रित के बच्चे एवं एमआईबी से नियोजित हुए मजदूरों पर आफत आ गई है। हम सभी जानते हैं कि मैट्रिक सर्टिफिकेट ही जन्म की तारीख का आधार होता है। मगर सिर्फ आश्रित के बच्चों के लिए प्रबंधन का पैमाना बदल जाता है। यहां जन्म की तारीख सेपरेशन आर्डर से तय की जाती है जबकि पूरे सेल मे माध्यमिक एवं आधार कार्ड की जन्म तारीख को आधार माना जाता है। मतलब किसी न किसी प्रकार से मजदूरों को प्रताड़ित करना ही है।

आश्रित, विस्थापित एवं स्थानीय युवा बेरोजगार रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं
बोकारो प्रबंधन को आड़े हाथ लेते हुए सिंह ने कहा कि आज हमारे आश्रित, विस्थापित एवं स्थानीय युवा बेरोजगार रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं मगर नियोजन बंद है। छोटे-छोटे टुकड़ों में पूरे प्लांट को आउट सोर्स कर राष्ट्र की इस अमूल्य संपत्ति को दिन-रात लूटा जा रहा है।अधिकारी अपने चाहने वाले को बिना टेंडर के करोड़ों करोड़ों के काम बांट रहे हैं और कमीशन से नोट छाप रहे हैं।

यूनियन नेताओ ने यह भी कहा कि ठेका मजदूरों का शोषण किसी से छुपा हुआ नहीं है। झारखंड सरकार के कारखाना वेज ना होने के की मार मजदूरों पर पड़ रही है। प्लांट के जोखिम के बावजूद मजदूरों को झारखंड सरकार के भवन निर्माण एवं बीड़ी पत्ता की मजदूरी से संतोष करना पड़ रहा है। उसमें भी 90% मजदूर मिनिमम वेज से वंचित हैं। अगर आवाज उठाई तो काम से बाहर, नौकरी की कोई गारंटी नहीं। इसमें सिर्फ ठेकेदार ही दोषी नहीं है बोकारो प्रबंधन भी बराबर की गुनाहगार हैं।

दिनांक 27/04/2022 को यूनियन के नेतृत्व में ठेका मजदूरों ने अधिशासी निदेशक संकार्य के कार्यालय पर ऐतिहासिक प्रदर्शन कर मांग पत्र बोकारो प्रबंधन को सौंपा। मगर तानाशाह प्रबंधन मांग पत्र को ठंडे बस्ते में डालकर मजदूरों को भड़का रही है।

चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से बोकारो प्रबंधन से यह हैं मांग
सिंह ने कहा आज हम इस चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से बोकारो प्रबंधन से यह मांग करते हैं कि ठेका मजदूरों को भी नियमित कर्मचारियों की तरह सभी सुविधाएं मुहैया कराये एवं उनके परिवार के सुरक्षित भविष्य के लिए कम से कम 15 लाख रुपये का ग्रुप इंश्योरेंस की व्यवस्था प्रबंधन अविलंब करें।

नगर सेवा एवं अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं लचर व्यवस्था
सिंह प्रबंधन पर जमकर बरसे सिंह ने कहा कि नगर सेवा विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। नगर की मेन सड़क, आवास, स्ट्रीट सड़क एवं नाला-नाली जर्जर हो चुके हैं सुध लेने वाला कोई नहीं। करोड़ों का टेंडर होता है पर पता नहीं पैसा कहां जाता है? खाली आवास कब्जा करा कर अधिकारी पैसे वसूल रहे हैं। मनमाने ढंग से गैर निबंधित संस्थानों को मनचाहे आवास आवंटित किए जा रहे हैं। बिजली पानी तो भगवान भरोसे ही है।

प्रभारी निदेशक वादा करके भी बोकारो टाउनशिप को इंदौर नहीं बना पाए
जब प्रभारी निदेशक महोदय निदेशक के रूप में प्रभार ग्रहण कर बोकारो आए थे तब उन्होंने यूनियन से पहली बैठक में कहा था कि हम बोकारो को 3 वर्ष के भीतर इंदौर के समकक्ष बना देंगे। 3 वर्ष बीत चुके हैं अब फैसला आप हीं कीजिए बोकारो इंदौर बना कि नर्क।

BGH की हालत किसी से छुपी हुई नहीं है
एक समय हमारा बी.जी.एच. पूरे झारखंड का शान हुआ करता था सिर्फ बोकारो ही नहीं बाहर के लोग भी यहां उपचार कराने आते थे। मगर आज अस्पताल की हालत किसी से छुपी हुई नहीं है डॉक्टर,नर्स एवं टेक्नीशियन का घोर अभाव है ऊपर से डॉक्टरों का व्यवहार सोने पर सुहागा। कर्मचारी अस्पताल जाने से डरते हैं। डॉक्टर अपने घर पर दुकान लगाकर बैठे हैं।

एजुकेशन हब कहलाने वाला बोकारो की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप
शिक्षा विभाग पर तो मानो ताला ही पड़ गया है। कभी एजुकेशन हब कहलाने वाला बोकारो की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ गई है।बोकारो प्रबंधन द्वारा संचालित विद्यालय जुए एवं शराब के अड्डे बन चुके हैं।निजी विद्यालय बच्चे की फीस के बदले कर्मचारियों से मोटी रकम वसूल रहे हैं।संयंत्र की जमीन, संयंत्र की बिजली-पानी का उपभोग करने वाले निजी विद्यालयों में संयंत्र के कर्मचारियों के लिए कोई रियायत नहीं।ठेका मजदूर तो इन निजी विद्यालयों में बच्चे को भेजने की सोच भी नहीं सकते हैं।मानो वर्तमान प्रबंधन के लिए शिक्षा का कोई महत्व नहीं है।मतलब हर मोर्चे पर यह प्रबंधन विफल है।

आज चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से मजदूर अपनी पीड़ा एवं आक्रोश से प्रबंधन को अवगत कराने आए हैं अगर जल्द से जल्द प्रबंधन द्वारा मजदूरों की मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो मजबूरन मजदूर आगे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।


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