Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

व्यवस्था ध्वस्त: BGH के कई वार्ड में बेडपैन, यूरिन पॉट की किल्लत, खरीद कर ला रहे लोग


Bokaro: इस इलाके के सबसे बड़े अस्पताल का दम भरने वाले सेल-बीएसएल के बोकारो जनरल अस्पताल (BGH) में अब बेडपैन, यूरिन पॉट की किल्लत हो रही है। बुढ़ापे या बीमारी के कारण बिस्तर पर पड़े मरीजों को एडमिट होते ही बेडपैन, यूरिन पॉट और डस्टबिन तक बाहर से खरीद कर लाने को कह दिया जा रहा है।

मरीजो की हालत को देखते हुए उनके अटेंडेंट मज़बूरी में बाजार से बेडपैन, यूरिन पॉट आदि खरीद कर ला रहे है। बता दें, 910 बेड क्षमता का बीजीएच का सञ्चालन बीएसएल (BSL) करता है जो सेल (SAIL) की सबसे प्रॉफिटेबल इकाई है। पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) होने के चलते यह यूनियन स्टील मिनिस्ट्री (Ministry of Steel) के जद में आता है।

लोगो का कहना है कि बीजीएच की चिकित्सा व्यवस्था में भारी गिरावट आ रही है। केंद्र में बीजेपी की सरकार है, बोकारो शहर के विधायक (MLA) और सांसद (MP) दोनों भाजपा (BJP) के है। फिर भी बीजीएच के हालात के खिलाफ बोलने-आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। राज्य में झामुमो (JMM) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन की सरकार है। फिर भी कांग्रेस प्रत्यासी से लेकर झामुमो के नेता बीजीएच के गिरती चिकित्सा व्यवस्था पर मौन है। बीजीएच के कुव्यवस्था के खिलाफ कुछ ट्रेड यूनियन लीडर है जो आवाज़ उठाते रहते है।

इस माहौल में कुछ हो न हो अस्पताल के बाहर बेडपैन, यूरिन पॉट आदि बेचने वाले दुकानों की चांदी है। 120 रूपये से 1000 रूपये तक मिलने वाले बेडपैन की भी जरुरत बीजीएच प्रबंधन पूरा नहीं कर पा रहा है।

बताया जा रहा है कि बेडपैन, यूरिन पॉट, डस्टबिन की किल्लत करीब-करीब बीजीएच के हरेक वार्ड में है। सिर्फ प्राइवेट मरीज ही नहीं, बीएसएल कर्मी भी बेडपैन आदि बाहर से खरीद कर ला रहे है। अधिकारियों के लिए सुश्रुत और धनवंतरी वार्ड में कुछ बेडपैन, यूरिन पॉट हैं, लेकिन वह इतने गंदे हैं की संभ्रांत मरीज के अटेंडेंट खुद बाहर से खरीद कर लेे आ रहे हैं।

बताया जाता है कि, एक दशक पहले तक बीजीएच के हरेक वार्ड में अच्छी संख्या में बेडपैन, यूरिन पॉट और बेड के नीचे डस्टबिन रहता था। पर पिछले कुछ सालों मे वार्ड में इनसब की संख्या घटा दी गई। मरीजों को जरुरत पड़ने पर उनके अटेंडेंट से कहा जाता था कि बाथरूम में रखे बेडपैन, यूरिन पॉट उठाकर ले आइये और इस्तेमाल करने के बाद धो कर रख दीजिये। जिससे की दूसरे मरीजों को इस्तेमाल करने में दिक्कत न हो। कुछ साल ऐसा ही चला, पर अब तो सीधे-सीधे अपना बेडपैन, यूरिन पॉट बाहर से लाने के लिए कह दिया जा रहा है।

जुगाड़

वार्ड 5 में भर्ती एक मरीज, जो बीएसएल कर्मी है, ने बताया कि वार्ड में एडमिट होने के साथ ही नर्स ने अपना बेडपैन, यूरिन पॉट यहां तक की डस्टबिन लाने को कह दिया। उस वार्ड में एडमिट सभी मरीजों को ऐसा ही कहा गया है। जिनको जरुरत है वह बाहर से जाकर बेडपैन, यूरिन पोट खरीद कर ला रहे है और इस्तेमाल कर रहे है।

NJCS मेंबर और क्रांतिकारी इस्पात मजदुर संघ (HMS) के जनरल सेक्रेटरी, राजेंद्र सिंह ने कहा कि –
बढ़ी दुर्भाग्य की बात है कि बीजीएच में मरीजों को बेडपैन, यूरिन पॉट जैसा सामान नहीं दिया जा रहा है। एक बीएसएल कर्मी जो उनके यूनियन के भी सदस्य है जब बीजीएच में भर्ती हुए तो उनको भी बेडपैन, यूरिन पॉट बाहर से लाने को कहा गया। प्राइवेट मरीजो को छोड़िये, बीएसएल कर्मचारी भी बाहर से खरीदकर यह सब ला रहे है। हम इसका विरोध करते है और बीएसएल प्रबंधन से इस बारे में बात करेंगे। बीजीएच की व्यवस्था ख़राब होती जा रही है।

जय झारखण्ड मजदुर समाज (JJMS) के जनरल सेक्रेटरी, बी के चौधरी –
अक्सर बीजीएच के सफाई कर्मियों के परेशानियों पर आवाज़ बुलंद करने वाले जय झारखण्ड मजदुर समाज (JJMS) के जनरल सेक्रेटरी, बी के चौधरी भी मरीजों को बेडपैन, यूरिन पॉट, डस्टबिन आदि खरीद कर लाने की बात पर अपना रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, जाने बीजीएच की हालत और कितनी खस्ता होगी ? बीजीएच के सफाई कर्मी भी बता रहे है कि अस्पताल में बेडपैन, यूरिन पॉट और डस्टबिन नहीं है। मरीजों को बाहर से खरीदने को कहा जाता है। चौधरी ने कहा सेल-बीएसएल प्रबंधन को यह सब क्यों नहीं दीखता या वह देखना नहीं चाहते, यह समझ से परे है।

बीजीएच के एक आला अधिकारी ने बताया कि-
बेडपैन कि ऐसी कोई किल्लत वार्ड में नहीं होनी चाहिए। उन्हें संख्या याद नहीं पर छह महीने पहले ही काफी मात्रा में बेडपैन खरीदा गया है। शायद नर्स लोग स्टोर से बेडपैन वार्ड में नहीं ले जा रही होंगी। हम पता करके देखते है।

बोकारो इस्पात संयंत्र के प्रवक्ता, मणिकांत धान ने कहा- इसका मैं खंडन करता हूँ. बोकारो अस्पताल में बेड पैन और यूरिन पॉट की कोई किल्ल्त नहीं है. जो मरीज़ बेड रिडन हैं और उन्हें इसकी ज़रूरत है, उसे अस्पताल की ओर से बेड पैन और यूरिन पॉट उपलब्ध कराया जाता है. फिर भी यदि किसी मरीज़ को कोई दिक्क़त हो रही हो, तो अस्पताल प्रबंधन के संज्ञान में लाया जा सकता है और उस पर त्वरित कार्यवाई होगी.

 

 


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