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दिल को छू लेगा बोकारो में बसा संथालियों का यह खूबसूरत गांव, लोगो की सरलता-संस्कृति-संस्कार भी मोह लेने वाला


Bokaro: चास प्रखंड के बांसगोड़ा पूर्वी मे लगभग 300 घर संथालियों का है। यह गांव बेहद खूबसूरत है और अपनी सभ्यता-संस्कृति को इस तरह संजोय हुए है की हर किसी को आकर्षित करता है। सुनने के बाद उपायुक्त कुलदीप चौधरी भी आपने आपको इस गांव में जाने से रोक नहीं पाएं। वहां गए और वहां के रहने वाले लोगो से दिल खोल के मिलें।

उपायुक्त उनलोगो के रहन-सहन, साफ़ सफाई, सदियों से पर्यावरण बचाने को लेकर उनके द्वारा उठाये जा रहे कदम आदि को देखर काफी प्रभावित हुए। सबसे बड़ी बात जो उनके दिल को छू गई वह थी संथाली लोगो द्वारा शिक्षा को सबसे अधिक अहमियत देना। वहां लोग जानते-समझते है की शिक्षा से ही विकास है।

■ जल संरक्षण का इससे अच्छा उदाहरण नही हो सकता है-

हैसाबातू बहू पंचायत ग्रामीण जलापूर्ति योजना की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे उपायुक्त तथा यूनिसेफ की टीम ने पाया की जल संरक्षण की दिशा मे सभी घर के अंदर जलसोखा बना हुआ है जो इस्तेमाल की हुई पानी पुनः जलगर्भ मे भेजी जा रही है।

इस तकनीक की जानकारी लेने के बाद उपायुक्त ने बताया की यह उम्दा तकनीक से जल को संचित रखा जाना बेहतर उदाहरण है। सबसे बड़ी चीज यह भी रहा की अपने जलप्रबंधन से कोई नाली नहीं दिखी जिससे मच्छड़ या अन्य गंदगी से किसी भी प्रकार की बीमारी हो।

संथालियों के घरों पर की गई नक्कासी तथा घरों का मैनेजमेंट मानो मन मोह रहा हो। स्थानीय कला को अपने अपने घरों पर उकेरना तथा रंग बिरंगी दीवारें यह बता रही थी की वास्तव मे प्रकृति एवं अपनापन से जुड़े रहना कितनी गर्व की बात है।

स्थानीय महिलाओं ने बताया की इस योजना से पूर्व पानी के लिए सुबह चार बजे से लाइन मे लगना पड़ता था। पर अब समस्या का समाधान हो गया है। इसके लिए सरकार का कोटि कोटि धन्यवाद एवं जोहार। उपायुक्त ने पाया कि गांव में बिजली की थोड़ी समस्या है। उन्होंने लोगो से कहा कि वह जल्द ही कोई समाधान करेंगे।

बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप मे 14वीं वित्त की राशि से सोलर लगाएं, जिससे बिजली की समस्या से निजात मिल सकेगा। उक्त निदेश मुखिया सावित्री मुर्मू को दिया। उपायुक्त ने यह भी निर्देश दिया गई ठोस कचरा प्रबंधन के लिए ठेला क्रय कर लें जो घर-घर से कचरा कलेक्शन करे।

उपायुक्त इस गांव की एक्टिव शांति सोरेन की कार्यकलाप से काफी प्रभावित हुए। परम्परा की मिशाल पेश करते हुए संथाली महिलाओं ने लोटा-पानी से अतिथियों का स्वागत किया। उनकी संस्कृति धरोहर बता रही थी वह लोग जमीन से जुड़े हुए है। मातृभूमि और प्रकृति मे बंधे हुए है। इनका सम्मान एवं संरक्षण करना उनकी पहचान है।


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