Bokaro Steel Plant (SAIL) Hindi News

लगभग 90% मजदूर अधिकारी और ठेकेदार की सांठगांठ से न्यूनतम मजदूरी से हैं वंचित: राजेंद्र सिंह NJCS सदस्य


Bokaro: क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ(एच.एम.एस) के द्वारा ठेका मजदूरो के शोषण,बंधुआ मजदूरी और दास प्रथा से मुक्ति हेतु अधिशासी निदेशक (संकार्य) सेल -बोकारो इस्पात संयंत्र कार्यालय पर विशाल आक्रोश प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने किया।

प्रदर्शन के दौरान राजेन्द्र सिंह ने कहा कि इस तपती धूप मे ठेका मजदूर मजबूरन आक्रोश प्रदर्शन कर रहे है। प्रदर्शन के माध्यम से अपना हक और अधिकार मांगने आये हैं। आज सभी प्रकार के स्थायी प्रकृति के कामों मे ठेका मजदूर कार्य कर रहे है, कोक-ओवन के 07 बैट्री मे से 06 बैट्री आउटसोर्स हैंं, धमन भट्ठी मे भी 04 फर्नेस मे से 03 फर्नेस आउटसोर्स है। कमोवेश पूरे प्लांट की यही स्थिति है।

राजेंद्र सिंह ने कहा कि “बोकारो इस्पात उत्पादन मे लगातार जो रिकॉर्ड बना रही है उसमे लगभग 80% की भूमिका इन्हीं ठेका मजदूरों की है। फिर भी ठेका मजदूरो की न्यूनतम मजदूरी झारखंड सरकार के भवन निर्माण एवम् बीड़ी पत्ता की मजदूरी को आधार मानकर तय की गई है। उसमे भी लगभग 90% मजदूर अधिकारी और ठेकेदार की सांठगांठ से न्यूनतम मजदूरी से वंचित हैं। एक तरफ स्थायी प्रकृति के कामों को ठेका मजदूरो से कराकर आपने ना सिर्फ एनजेसीएस के समझौते का उल्लंघन किया है, अपितु ठेका मजदूरो का शोषण कर रहे है”।

सिंह ने यहां तक कहा कह दिया कि जान-जोखिम मे डालकर उत्पादन कर रहे ठेका मजदूरो की सुरक्षा पर बीएसएल की व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। आपकी कथनी और करनी में फर्क साफ झलकता है,आये दिन दुर्घटनाए हो रहीं हैं, मगर नतीजा शिफर सिर्फ लीपापोती।

सिंह ने बोकारो इस्पात प्रबंधन पर तंज कसते हुए भी कहा कि प्रबंधन S.A.8000 प्रमाणपत्र धारित कंपनी है। मगर S.A.8000 के किसी भी बिन्दु का पालन नहीं करता हैं। लगता है इस प्रमाण पत्र को पाने के पीछे भी S.A.8000 और सेल-बोकारो प्रबंधन की मिलीभगत है,इस सर्टिफिकेट उपयोग बस मार्केटिंग मात्र तक हीं सीमित रह गया है, ये हाथी का वो दांत है जो सिर्फ दिखाने के काम हीं आता है।

प्रबंधन को चेतावनी देते हुए सिंह ने कहा कि अब वक्त बदल चुका है,मजदूर जागृत हो चुके हैं। प्रबंधन को हर हाल में अब ठेका मजदूरो को वाजिब हक देते हुए उन्हें भी मुख्य धारा से जोड़ना हीं पड़ेगा। अन्यथा औद्योगिक अशांति की संपूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।

क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ(एच.एम.एस) की बीएसएल प्रबंधन से माँगें :
1)झारखण्ड सरकार का बीड़ी पत्ता और भवन निर्माण का मिनिमम वेज नहीं चलेगा,सेल वेज बोर्ड का गठन कर समान काम का समान वेतन देना होगा|
2)नियमित कर्मचारियों की भांति ठेका मजदूरों को इन्सेन्टिव और रिवॉर्ड देना होगा|
3)ठेका मजदूरों को भी ग्रेचुइटी देना होगा|
4)ठेका मजदूरों को भी नियमित कर्मचारियों की तरह सभी भत्ते(क्वार्टर भत्ता,साइकिल भत्ता,कैन्टीन भत्ता रात्रि पाली भत्ता) लागू करो|
5)ठेका मजदूरों का बिना पैसा काटे कम-से-कम बीस लाख रूपये का ग्रुप इन्सुरेन्स की व्यवस्था करो|
6)नियमित कर्मचारियों की तरह सी.एल.,आर.एच और मेडिकल छुट्टी लागू करो|
7)ठेका मजदूरों को भी दुर्गापूजा पर बोनस का भुगतान किया जाये|
8) वरीयता को ध्यान में रखते हुए ठेका मजदूरों के लिए भी प्रमोशन पालिसी बनाया जाये|
9)बोकारो जेनरल अस्पताल को भी ई.एस.आई के दायरे में लाया जाये|
10)सेल/बोकारो इस्पात संयंत्र के खाली पड़े आवासों को ठेका मजदूरों को आवंटित करो|
11)ठेका मजदूरों के बच्चों की पढाई की व्यवस्था सेल/बोकारो प्रबन्धन करे|
12)शोषण से मुक्ति के लिए ठेका मजदूरों की जॉब सिक्यूरिटी की गारन्टी सेल/बोकारो प्रबन्धन को लेनी होगी|
13)परिचालन में रिवर्स आक्सन अन्याय है एल.पी. पी का चलन बंद करो|
14)इंजिनियर-इन-चार्ज एवं ठेकेदारों की सांठगांठ, लूट-खसोट एवं भ्रष्टाचार पर रोक लगाओ|
15)परिचालन का ठेका कम-से-कम पाँच वर्षो का हो|
16)एस.ए 8000 के सभी बिन्दुओं को शत-प्रतिशत पूर्ण रूपेण लागू करो|


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